Bangladesh Crisis News: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद नोबल विनर अर्थशास्त्री मोहम्मद युनूस की अगुवाई में कार्यवाहक सरकार का गठन हुआ है, लेकिन स्थितियां अभी सामान्य नहीं हो पाई हैं…
बांग्लादेश में जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच उसका आर्थिक असर भारत में भी महसूस होने लगा है. खास तौर पर गारमेंट और निटेड सेक्टर बांग्लादेश संकट के चलते अनिश्चितता का शिकार हो रहे हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को यह बात स्वीकार की.
वित्त मंत्री निर्मता सीतारमण रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की आज 10 अगस्त को हुई बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश में जारी मौजूदा अस्थिरता के चलते भारत में गारमेंट व निटेड सेक्टर पर असर हो रहा है. उनके अनुसार, भारत में ये दोनों सेक्टर मौजूदा संकट के चलते कुछ हद तक अनिश्चितता की जद में आए हैं.
अभी व्यापक असर के बारे में कहना जल्दीबाजी
हालांकि उन्होंने विस्तार से असर के बारे में कुछ नहीं कहा. वित्त मंत्री के अनुसार, अभी व्यापक असर के बारे में कुछ कह पाना जल्दीबाजी है. हम निम्न-आय वाले देशों (लो-इनकम कंट्रीज) के लिए ड्यूटी व कोटा पर उदार रवैया रखते हैं. ऐसे में वे हमें ज्यादा निर्यात कर पाते हैं और हम पहले आयात करते हैं. ऐसे में गारमेंट व निटेड सेक्टर पर कुछ असर हुआ है.
बांग्लादेश में टेक्सटाइल कंपनियों के निवेश
वित्त मंत्री ने बांग्लादेश में भारत की कंपनियों के द्वारा किए गए निवेश को लेकर कहा- हम उम्मीद करते हैं कि निवेश सुरक्षित हैं. उसके अलावा बांग्लादेश की स्थिति का भारत पर क्या आर्थिक असर हो सकते हैं, उसके बारे में अभी कहना बहुत जल्दीबाजी होगी. अभी मैंने और कई अन्य लोगों ने बांग्लादेश में हमारी टेक्सटाइल इंडस्ट्री के निवेश को मामले को लेकर चर्चाएं की हैं. बांग्लादेश में तमिलनाडु की कई टेक्सटाइल कंपनियों ने निवेश किया हुआ है.
केयरएज को लगता है भारत को होगा फायदा
इससे पहले रेटिंग एजेंसी केयरएज ने एक रिपोर्ट में कहा था कि बांग्लादेश में जारी अस्थिरता भारतीय गारमेंट इंडस्ट्री के लिए नए अवसर बना सकती है. एजेंसी के अपुसार, भारत के गारमेंट मेकर बांग्लादेश में अनिश्चितता की स्थिति का लाभ उठा सकते हैं और वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं. केयरएज के अनुसार, बांग्लादेश संकट से भारतीय गारमेंट मेकर के लिए निकट भविष्य में 200-250 मिलियन डॉलर और मध्यम अवधि में 300-350 मिलियन डॉलर प्रति माह के निर्यात के मौके बन सकते हैं.
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर संकट का असर
आपको बता दें कि पड़ोसी बांग्लादेश में शेख हसीना की अगुवाई वाली सरकार के तख्तापलट के बाद नोबल विनर अर्थशास्त्री मोहम्मद युनूस की अगुवाई में कार्यवाहक सरकार का गठन हुआ है. हालांकि अभी भी बांग्लादेश में अस्थिरता का माहौल कायम है और स्थितियां सामान्य नहीं हो पाई हैं. इससे वहां के उद्योग खासकर टेक्सटाइल सेक्टर पर गंभीर असर पड़ने की आशंका है, जो बांग्लादेश के कुल निर्यात में 80 फीसदी और जीडीपी में 15 फीसदी का योगदान देता है.