Delhi Temperature: इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट्स (आईआईईडी) के अनुसार चिलचिलाती धूप में काम करने से कर्मचारी, बुजुर्ग और बच्चे बुरी तरह से प्रभावित होते हैं.
Effect of Delhi Heatwave: दक्षिण पूर्व दिल्ली के सेवा नगर में एक निर्माण स्थल के पास गर्मी की दोपहर में सुमन मंडल अपने दो साल के बेटे को लेकर पेड़ के नीचे बैठी थी. दिल्ली पारा बढ़कर 46 से 48 डिग्री तक पहुंचने के बाद 37 वर्षीय मंडल और उनके दो बच्चे सुस्त दिखते हैं. मंडल का दूसरा बच्चा चार साल का है. उन्होंने कहा, ‘इस गर्मी में काम करना बहुत मुश्किल है, लेकिन मैं काम नहीं छोड़ सकती, नहीं तो मेरी आमदनी खत्म हो जाएगी।’ उन्होंने कहा कि गर्मी का असर उनके बच्चों पर भी पड़ता है.
चिलचिलाती धूप से स्वयं को बचाने के लिए चेकदार स्कार्फ डाले 49 वर्षीय संजय वर्मा दक्षिण दिल्ली में खाना पहुंचाने का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी से उनका काम प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं थोड़े समय का विराम लेता हूं और हर 30 मिनट में पानी पीता हूं, नहीं तो मैं बेहोश हो जाऊंगा।’’
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट्स (आईआईईडी) के अनुसार भारत के कुछ हिस्सों में लोग अत्यधिक गर्मी से जूझ रहे हैं. ऐसे में खुले में काम करने वाले कर्मचारी, बुजुर्ग और बच्चे विशेष रूप से प्रभावित हो रहे हैं. गर्म मौसम के दौरान लोगों को काम करने में मुश्किल होती है और उनकी उत्पादकता कम हो जाती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्मी पड़ रही है. एक नए विश्लेषण से पता चलता है कि दिल्ली में पिछले 10 वर्षों में से आठ में 150 से अधिक दिनों में 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान दर्ज किया गया. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट्स (आईआईईडी) द्वारा दुनिया के 20 सबसे बड़े राजधानी शहरों में तापमान के किए गए विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि पिछले 10 वर्षों में दिल्ली में तापमान 1,557 दिन (लगभग 43 प्रतिशत) 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा या उससे अधिक दर्ज किया.
ज्यादा गर्मी से लोगों कार्य क्षमता में आती है कमी
आईआईईडी ने शहरों में एकरूपता के लिए केवल हवाई अड्डा स्थल से जुड़े डेटा का विश्लेषण किया. दिल्ली के लिए इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के डेटा का उपयोग किया गया. विश्लेषण से पता चलता है कि घनी आबादी वाले शहर में 2004-2013 के दौरान 1,254 दिन (लगभग 34 प्रतिशत) और 1994-2003 के दौरान 1,180 दिन (लगभग 32 प्रतिशत) तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया. आईआईईडी की मानव बस्ती से जुड़ी टीम की एक प्रमुख शोधकर्ता अन्ना वाल्नीकी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में अत्यधिक गर्मी की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि सभी के स्वास्थ्य, कल्याण और उत्पादकता पर काफी प्रभाव डाल रही है.
उन्होंने कहा, ‘पानी और बिजली की कम पहुंच के कारण कम आय वाले परिवारों में अत्यधिक गर्मी का समाना करने की सीमित क्षमता होती है. इसके अलावा, अनौपचारिक घरों के डिजाइन और निर्माण का मतलब अक्सर खराब वेंटिलेशन से होता है, जो अत्यधिक गर्मी से बचने के लिहाज से नाकाफी होते हैं.’’
मजबूत ताप कार्य योजना की आवश्यकता
इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन सेटलमेंट्स की वरिष्ठ शोधकर्ता और आईपीसीसी की प्रमुख लेखिका चांदनी सिंह ने कहा कि अब हम जिस गर्मी का अनुभव कर रहे हैं, उससे निपटने के लिए राज्य और शहर-स्तरीय ताप कार्य योजनाएं ‘अपर्याप्त’ साबित हो रही हैं. सिंह ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में गर्मी का अनुभव आवासीय स्थान, व्यवसाय और शीतलन तक पहुंच जैसे कारकों पर निर्भर करता है.
खुले में काम करने वाले श्रमिकों पर प्रभाव
केंद्र सरकार के ई-श्रम पोर्टल के अनुसार, दिल्ली में लगभग 34 लाख असंगठित श्रमिक हैं. गैर सरकारी संगठन ‘जनपहल’ के धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि इनमें से अधिकतर श्रमिक बाहर मजदूरी करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘वे अक्सर एक कमरे वाले छोटे से अपार्टमेंट में रहते हैं, पर्याप्त तौर पर हवादार नहीं होता और शीतलन प्रणाली का भी अभाव होता है, जिससे गर्मी का असर बढ़ जाता है.’’