
मध्य प्रदेश में 126 साल पुराने मैनुअल स्टाम्प जल्द ही बंद होने वाले हैं और उनकी जगह ई-स्टाम्प का उपयोग शुरू किया जाएगा। भारत में तकनीकी प्रगति के साथ कई पुरानी सेवाओं में बदलाव हो रहे हैं, और इसी कड़ी में मैनुअल स्टाम्प भी अब इतिहास बनते दिख रहे हैं। मैनुअल स्टाम्प की शुरुआत भारत में 1899 में हुई थी, लेकिन नकली स्टाम्पिंग और बड़े पैमाने पर होने वाले घोटालों के चलते इसे बंद करने का फैसला लिया गया है। खासतौर पर 2003 में सामने आए 30 हजार करोड़ रुपये के घोटाले ने इसकी छपाई और सुरक्षा की लागत पर सवाल खड़े कर दिए। वर्तमान में 100 रुपये से ऊपर के मैनुअल स्टाम्प 2015 से बंद हैं, जबकि अब बची हुई स्टाम्पिंग भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है।
ई-स्टाम्प एक डिजिटल और सुरक्षित विकल्प है, जो खरीद, बिक्री और उपयोग की पूरी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध कराता है, जिससे फर्जी स्टाम्पिंग की संभावना खत्म हो जाती है। मध्य प्रदेश में यह सुविधा 2015 से ही शुरू हो चुकी है और यहां ई-स्टाम्प सीधे सरकार के जरिए जारी होते हैं, जबकि अन्य राज्यों में इसे थर्ड पार्टी एजेंसी द्वारा संभाला जाता है। इससे अब बैंकों या ऑफिसों में लाइन लगाकर स्टाम्प खरीदने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि लोग इसे ऑनलाइन खुद आसानी से जनरेट कर सकेंगे। राज्य सरकार ने मैनुअल स्टाम्प बंद करने का प्रस्ताव भेज दिया है और जल्द ही पूरी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

