रिलायंस ने जिओ इन्फोकॉम में केवल 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी लेने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी के साथ भी बातचीत शुरू कर दी है। कंपनी ने बैंकों के साथ बातचीत शुरू कर दी है।

Reliance Jio IPO: रिलायंस जियो के IPO के बारे में एक नया अपडेट सामने आया है। ब्लूमबर्ग ने मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने अपनी यूनिट रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड की संभावित लिस्टिंग को लेकर बैंकों के साथ अनौपचारिक बातचीत शुरू कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने के आखिर तक औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो सकती है। उम्मीद जताई जा रही है कि रिलायंस नवंबर में ऑफिशियली इंवेस्टमेंट बैंकरों की नियुक्ति कर लेगी। इस पर बातचीत जारी है। आईपीओ के साइज और इसके लॉन्च होने की तारीख बदल सकते हैं।
भारत के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ घटना।
ब्लूमबर्ग ने पहले बताया था कि मुकेश अंबानी की नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज अपनी टेलीकॉम कंपनी जियो इन्फोकॉम की लिस्टिंग से 52,200 करोड़ रुपये (करीब 6 अरब डॉलर) जुटाने पर विचार कर रही है, जो भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है. जियो की वार्षिक साधारण सभा (AGM) में मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन मुकेश अंबानी ने इसकी घोषणा की थी।
जियो का आईपीओ अगले साल यानी 2026 की पहली छमाही में लॉन्च होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस ने सिर्फ 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी लेने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी के साथ भी बातचीत शुरू कर दी है। अगर मंजूरी मिल जाती है, तो यह भारत में आईपीओ के सभी पिछले रिकॉर्डों को तोड़ देगा और हुंडई मोटर इंडिया के 28,000 करोड़ रुपये के आईपीओ को भी पीछे छोड़ देगा.
आईपीओ का आकार कम हो जाएगा और वह आधा हो जाएगा।
मौजूदा नियमों के अनुसार, कंपनियों को अब लिस्टिंग के 3 साल के भीतर 25 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरहोल्डिंग बनाए रखना अनिवार्य है। हालांकि, ब्लूमबर्ग ने खुलासा किया है कि रिलायंस ने सेबी को सूचित किया है कि बड़े ऑफर को अब्जॉर्व करने के लिए पर्याप्त नकदी उपलब्ध नहीं हो सकती है। बाजार में लिस्टिंग को सुविधाजनक बनाने के लिए रिलायंस जियो छोटी हिस्सेदारी बेचने की मांग कर रही है।
सेबी के संशोधित नियमों के अनुसार, बड़ी कंपनियों को अब 5 प्रतिशत की बजाय अब सिर्वजनिक हिस्सेदारी का केवल 2.5 प्रतिशत हिस्सा बेचना होगा। इसका मतलब है कि सेबी ने सार्वजनिक हिस्सेदारी को 5 प्रतिशत से कम करके 2.5 प्रतिशत कर दिया है। इस नए नियम के साथ, रिलायंस जियो के आईपीओ का आकार आधा हो जाएगा। अर्थात, यह 52,200 करोड़ रुपये से कम होकर लगभग 30,000 करोड़ रुपये होगा।