Saturday, August 2, 2025
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देश में कहां मिलते हैं सबसे सस्ते आर्टिफिशियल अंग? खरीदते वक्त किन बातों का रखना चाहिए खास ध्यान?

अगर किसी दुर्घटना या गंभीर बीमारी के कारण किसी व्यक्ति को अपने शरीर का कोई अंग गंवाना पड़ता है, तो अब घबराने की जरूरत नहीं है। आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि ऐसे लोगों के लिए आर्टिफिशियल यानी कृत्रिम अंग उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से वे सामान्य जीवन जी सकते हैं। हालांकि, ग्रामीण इलाकों या आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए इन अंगों को खरीद पाना मुश्किल होता है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि देश में कुछ ऐसे केंद्र भी मौजूद हैं, जहां से बेहद कम कीमत पर कृत्रिम अंग उपलब्ध कराए जाते हैं, ताकि हर जरूरतमंद तक मदद पहुंच सके।

भारत में सबसे कम माने गए या सस्ते आर्टिफिशियल अंगों के बारे में चर्चा करते हुए, यह उपकरण भगवान महावीर विकल सहायता समिति (बीएमवीएसएस) और नारायण सेवा संस्थान जैसे गैर-सरकारी संगठनों द्वारा प्रदान किए जाते हैं। ये संगठन आमतौर पर नि:शुल्क या फिर कम लागत में आर्टिफिशियल अंग प्रदान करते हैं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए। इसके अतिरिक्त, एलिम्को (भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम) एक सरकारी संगठन है जो कम लागत में कृत्रिम अंग प्रदान करता है, विशेष रूप से कृत्रिम पैर।

कृत्रिम अंग खरीदने के लिए सिर्फ सस्ते में ध्यान नहीं दिया जाता है, बल्कि उसे खरीदते समय और भी कई चीजों पर ध्यान दिया जाता है। कृत्रिम अंग लेने से पहले यह जानना जरूरी है कि आपको ऊपरी शरीर के लिए अंग चाहिए या निचले शरीर के लिए। बाजार में कई प्रकार के कृत्रिम अंग जैसे कि ट्रांसरेडियल, ट्रांसह्यूमरल, ट्रांसटिबियल और ट्रांसफेमोरल उपलब्ध हैं। इनके अलग-अलग उपयोग और विशेषताएं होती हैं। इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि कृत्रिम अंगों के निर्माण के लिए कौन सी सामग्री का उपयोग किया गया है, जैसे कि ये एल्यूमिनियम, टाइटेनियम, स्टेनलेस स्टील, और सिलिकॉन से बनाए गए हैं।

कृत्रिम अंग खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि वह आपके शरीर के अनुरूप ठीक से फिट हो रहा है और पहनने में पूरी तरह आरामदायक है। सिर्फ लागत ही नहीं, बल्कि आपकी हेल्थ या एक्सीडेंट से जुड़ी बीमा पॉलिसी में यह जांचना भी जरूरी है कि क्या वह कृत्रिम अंगों को कवर करती है या नहीं, और अगर हां, तो उसकी कवरेज लिमिट क्या है। इसके अलावा, कृत्रिम अंगों को संभालकर और सावधानीपूर्वक रखना चाहिए, ताकि उनकी कार्यक्षमता बनी रहे और वे जल्दी खराब न हों। अगर विकल्प उपलब्ध हों, तो टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल (इको-फ्रेंडली) कृत्रिम अंगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

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