Tuesday, July 1, 2025
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‘किसी के नियंत्रण में नहीं बाबा रामदेव’, ‘रूह अफजा’ पर सांप्रदायिक टिप्पणी के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बार फिर बाबा रामदेव को ‘रूह अफजा’ पर सांप्रदायिक टिप्पणी के लिए फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं हैं और अपनी ही दुनिया में रहते हैं। 3 अप्रैल को रामदेव ने पतंजलि के गुलाब शरबत का प्रचार करते हुए हमदर्द पर विवादित टिप्पणी की थी। एक वायरल वीडियो में उन्होंने दावा किया था कि हमदर्द अपनी कमाई से मस्जिद और मदरसे बनवाता है।


रामदेव ने ‘शरबत जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा कि हमदर्द का शरबत पीने से मस्जिद और मदरसे बनेंगे, जबकि पतंजलि का शरबत गुरुकुल, आचार्यकुलम और भारतीय शिक्षा बोर्ड को बढ़ावा देगा।
इस मामले से संबंधित याचिका को लेकर हाई कोर्ट को यह जानकारी दी गई कि अदालत के 22 अप्रैल के निर्देशों के बावजूद रामदेव ने आपत्तिजनक बयान देते हुए एक वीडियो जारी किया है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं हैं और अपनी ही दुनिया में रहते हैं। हमदर्द के वकील ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद बाबा रामदेव ने नया वीडियो जारी किया, जबकि हाईकोर्ट ने उन्हें वीडियो हटाने का आदेश दिया था।
हमदर्द के वकील ने कहा कि बाबा रामदेव कोर्ट के आदेश का सम्मान नहीं करते हैं। इस पर बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि हमने कोर्ट के आदेश के अनुसार जिस वीडियो को हटाने का आदेश कोर्ट ने दिया था, वह वीडियो हटा दिया है।
इसके बाद हाई कोर्ट ने रामदेव के वकील से कहा कि आपने अपने हलफनामे में कहा कि आप इस तरह का कोई वीडियो नहीं जारी करेंगे। इस पर रामदेव के वकील ने बताया कि हमने अपने हलफनामे में कहा कि हम कानून का पालन करने वाले लोग हैं और सभी धर्म का सम्मान करते हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि आपको सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी माना था। हाई कोर्ट ने कहा कि हमारे पिछले आदेश के मद्देनजर उनका हलफनामा और यह वीडियो प्रथम दृष्टया अवमानना के दायरे में आते हैं, अब हम अवमानना नोटिस जारी करेंगे और हम उन्हें यहां बुला रहे हैं।
इससे पहले, बीते 22 अप्रैल को दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव को हमदर्द कंपनी और इसके लोकप्रिय पेय ‘रूह अफजा’ के खिलाफ सांप्रदायिक टिप्पणियों के लिए कड़ी फटकार लगाई थी।
हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया द्वारा दायर मुकदमे की सुनवाई में न्यायमूर्ति अमित बंसल ने रामदेव के बयानों को “अक्षम्य” बताया। उन्होंने कहा कि यह अदालत की चेतना को झकझोरता है।
कोर्ट ने रामदेव के वकील को सख्त चेतावनी दी और निर्देश लेने के लिए दोबारा पेश होने को कहा था।
इसके साथ ही, कोर्ट ने रामदेव को एक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था, जिसमें उन्हें वचन देना था कि भविष्य में हमदर्द के खिलाफ कोई आपत्तिजनक बयान, विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट जारी नहीं करेंगे।
कोर्ट ने इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया था और मामले की अगली सुनवाई 1 मई को तय की थी।

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