कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि आवारा कुत्तों को हटाने की प्रक्रिया दिसंबर में ही शुरू कर दी जाएगी और उनके पास शेल्टर होम भी नहीं हैं, जो कि अमानवीय बर्ताव है.

दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्तों को हॉस्पिटल, एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थलों से हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट कपिल सिब्बल और जजों के बीच बहस हो गई. गुरुवार (18 दिसंबर, 2025) को कपिल सिब्बल ने कहा कि कुत्तों के लिए शेल्टर होम नहीं है और उन्हें हटाए जाने की प्रक्रिया शुरू होने वाली है, जो अमानवीय बर्ताव है. इस पर कोर्ट ने उनसे कहा कि अगली सुनवाई में एक वीडियो दिखाकर आपसे पूछेंगे कि मानवता क्या होती है.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच के सामने याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पेश हुए और उन्होंने कुत्तों को हटाए जाने की प्रक्रिया का विरोध किया. वह शुक्रवार को मामले को सुनने की अपील कर रहे थे, जबकि कोर्ट ने सात जनवरी की तारीख दी है.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि मामले की सुनवाई के लिए गुरुवार को बैठने वाली तीन जजों की विशेष बेंच को रद्द कर दिया गया है. जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि मामले पर अगली सुनवाई सात जनवरी को होगी. कपिल सिब्बल ने कहा, ‘समस्या यह है कि दिल्ली नगर निगम (MCD) ने इस बीच कुछ नियम बनाए हैं जो पूरी तरह से विपरीत हैं.’
जब बेंच ने कहा कि वह इस मामले पर सात जनवरी को विचार करेगी तो कपिल सिब्बल ने कहा कि अधिकारी दिसंबर में ही नियम लागू कर देंगे. उन्होंने कहा, ‘वे यह नियम लागू करेंगे और कुत्तों को हटा देंगे, जबकि उनके पास शेल्टर होम नहीं हैं.’ इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, ‘कोई बात नहीं मिस्टर सिब्बल. उन्हें ऐसा करने दीजिए, हम विचार करेंगे.’
कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई शुक्रवार को करने का आग्रह करते हुए कहा कि अधिकारियों के पास कुत्तों के शेल्टर भी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि यह जो किया जा रहा है वह बहुत ही अमानवीय है.
जस्टिस संदीप मेहता ने कपिल सिब्बल से कहा, ‘अगली तारीख पर हम आपकी सुविधा के लिए एक वीडियो चलाएंगे और आपसे पूछेंगे कि मानवता क्या होती है.’
कपिल सिब्बल ने इसके जवाब में कहा कि वह भी यह दिखाने के लिए एक वीडियो चलाएंगे कि क्या हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक केंद्रों, अस्पतालों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों जैसे संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों के काटे जाने की घटनाओं में खतरनाक वृद्धि का सात नवंबर को संज्ञान लिया और अधिकारियों को ऐसे कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में ले जाने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने निर्देश दिया था कि ऐसे संस्थानों से हटाए गए आवारा कुत्तों को वापस उन्हीं स्थानों पर नहीं छोड़ा जाए.

