
BJP Assets: भारतीय जनता पार्टी आज देश की सबसे अमीर राजनीतिक पार्टी बन चुकी है। सत्ता में आने से पहले और बाद के आंकड़े यह दिखाते हैं कि बीते 11 वर्षों में पार्टी की आय और संपत्ति में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और पार्टी के आधिकारिक आय घोषणाओं के अनुसार, 2014 के बाद भाजपा की वित्तीय स्थिति में तेज़ी से बदलाव देखने को मिला है, जिसने भारतीय राजनीतिक फंडिंग की तस्वीर ही बदल दी है।
2014 से पहले कैसी थी बीजेपी की आर्थिक स्थिति
2014 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा की वित्तीय स्थिति अपेक्षाकृत सीमित मानी जाती थी। वित्तीय वर्ष 2013-14 में पार्टी ने करीब 674 करोड़ रुपये की आय घोषित की थी, जबकि उस समय कुल संपत्ति लगभग 781 करोड़ रुपये थी। तब भाजपा और अन्य राष्ट्रीय दलों, खासकर कांग्रेस, के बीच आर्थिक अंतर आज जितना बड़ा नहीं था।
सत्ता में आने के बाद आय में जबरदस्त उछाल
2014 में केंद्र में सरकार बनने के बाद भाजपा की आय में लगातार और तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की गई। वित्तीय वर्ष 2022-23 तक पार्टी की घोषित आय बढ़कर लगभग 2,360 करोड़ रुपये हो गई, जो 2014 से पहले की तुलना में 250 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्शाती है।
चुनावी वर्षों में रिकॉर्ड कमाई
भाजपा की आय में सबसे बड़ा उछाल चुनावी वर्षों के दौरान देखने को मिला। वित्तीय वर्ष 2019-20 में पार्टी ने अब तक की सबसे अधिक आय 3,623 करोड़ रुपये घोषित की। हालिया आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में यह आंकड़ा और बढ़कर करीब 4,340 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
एक दशक में संपत्ति में कई गुना बढ़ोतरी
आय के साथ-साथ भाजपा की कुल संपत्ति में भी तेज़ी से इजाफा हुआ है। जहां 2013-14 में पार्टी की संपत्ति लगभग 781 करोड़ रुपये थी, वहीं 2022-23 तक यह बढ़कर 7,052 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई। यानी करीब 9 गुना की बढ़ोतरी। आंकड़े यह भी संकेत देते हैं कि पार्टी ने लगातार खर्च से अधिक आय अर्जित की, जिससे हर साल बड़ा सरप्लस जुड़ता गया।
2013-14 और उसके बाद के 11 वर्षों की तुलना साफ तौर पर बताती है कि सत्ता में आने के बाद भाजपा न सिर्फ राजनीतिक रूप से मजबूत हुई, बल्कि एक वित्तीय पावरहाउस के रूप में भी उभरकर सामने आई। 250 से 400 प्रतिशत तक की आय वृद्धि और 7,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति के साथ पार्टी ने भारत में राजनीतिक फंडिंग के बदलते स्वरूप को स्पष्ट रूप से दर्शाया है।

