
Can Air Purifier Reduce Pollution: बढ़ते वायु प्रदूषण के साथ एयर प्यूरीफायर की मांग तेजी से बढ़ी है। दावा किया जाता है कि ये डिवाइस हवा को साफ कर वायरस, बैक्टीरिया और हानिकारक कणों से बचाव करते हैं, लेकिन क्या ये वाकई इंसानी सेहत के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं? अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो की एक नई स्टडी ने एयर प्यूरीफायर के इस्तेमाल को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
इस रिसर्च में 1920 से 2023 तक की करीब 700 स्टडीज की समीक्षा की गई। चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि इनमें से ज्यादातर रिसर्च इंसानों पर नहीं, बल्कि खाली कमरों, जानवरों या सिर्फ हवा के सैंपल पर की गई थी। यानी असल जीवन में एयर प्यूरीफायर का इंसानी सेहत पर क्या असर पड़ता है, इस पर ठोस वैज्ञानिक सबूत अब भी सीमित हैं।
स्टडी के अनुसार केवल करीब 8 फीसदी रिसर्च में ही एयर प्यूरीफायर को इंसानों पर टेस्ट किया गया। कई मामलों में यह भी पाया गया कि कुछ एयर प्यूरीफायर ओजोन और फॉर्मलडिहाइड जैसी खतरनाक गैसें पैदा कर सकते हैं। ओजोन फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है, अस्थमा के लक्षण बढ़ा सकती है और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ाती है। वहीं फॉर्मलडिहाइड आंखों, नाक और गले में जलन पैदा करती है और ज्यादा मात्रा में यह कैंसर का कारण भी बन सकती है। कुछ डिवाइस में मौजूद आयोनाइजर घर के अंदर मौजूद केमिकल्स से रिएक्ट कर बेहद बारीक और जहरीले कण बना सकते हैं, जो सीधे फेफड़ों और खून तक पहुंच जाते हैं।
रिसर्चर्स का कहना है कि कई नई तकनीकों को इंसानों पर पर्याप्त रूप से परखा ही नहीं गया है। कंपनियां बड़े-बड़े दावे तो करती हैं, लेकिन उनके समर्थन में ठोस सबूत नहीं होते। स्कूल, अस्पताल और ऑफिस जैसी जगहों पर इन डिवाइस का इस्तेमाल करने से पहले यह साबित होना जरूरी है कि ये न सिर्फ असरदार हैं, बल्कि सुरक्षित भी हैं।
इस विषय पर शहीद हॉस्पिटल, दुर्ग के कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. योगेश्वर देशमुख का कहना है कि एयर प्यूरीफायर सीधे तौर पर हवा से नमी नहीं हटाते, लेकिन बंद कमरे में इन्हें लंबे समय तक तेज सेटिंग पर चलाने से कमरे की नमी कम हो सकती है। कम ह्यूमिडिटी की वजह से नाक, गला और सांस की नलियों में सूखापन, जलन, खराश, खांसी और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। साफ हवा के साथ सही नमी का स्तर बनाए रखना भी फेफड़ों के लिए जरूरी है।
एक्सपर्ट्स की सलाह है कि एयर प्यूरीफायर खरीदते समय सावधानी बरतनी चाहिए। ओजोन पैदा करने वाले या केमिकल रिएक्शन पर काम करने वाले प्यूरीफायर से बचें। HEPA फिल्टर वाले प्यूरीफायर को ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। साथ ही कमरे के साइज के अनुसार सही डिवाइस चुनें और फिल्टर की नियमित सफाई व समय पर बदलाव जरूर करें।

