Sonam Wangchuk News: सोनम वांगचुक को TIME मैगजीन की ओर से ये सम्मान 35 दिन की भूख हड़ताल के बाद NSA प्रावधानों के तहत उनकी चल रही कैद के बीच मिला है. वांगचुक को ‘डिफेंडर्स’ श्रेणी में शामिल किया गया.

पर्यावरणविद सोनम वांगचुक को TIME मैगजीन ने सम्मानित किया है. लद्दाख में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने के लिए नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत हिरासत में रखे गए, जलवायु इनोवेटर और शिक्षक सोनम वांगचुक को TIME मैगजीन की प्रतिष्ठित 2025 TIME100 क्लाइमेट सूची में शामिल किया गया है. वहीं उनकी पत्नी ने सरकार पर तंज कसा है.
30 अक्टूबर को जारी की गई यह सालाना सूची जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सार्थक कार्रवाई करने वाले 100 वैश्विक नेताओं को पहचान देती है. वांगचुक को ‘डिफेंडर्स’ श्रेणी में शामिल किया गया है, जो ग्रह के सबसे कमजोर इकोसिस्टम और समुदायों की रक्षा करने वालों को सम्मानित करती है.
कैद के बीच सोनम वांगचुक को सम्मान
यह सम्मान लद्दाख के 57 वर्षीय इंजीनियर को दुनिया के नेताओं, वैज्ञानिकों, उद्यमियों और कार्यकर्ताओं के साथ खड़ा करता है जो जलवायु लचीलेपन के भविष्य को आकार दे रहे हैं. वांगचुक को यह सम्मान 35 दिन की भूख हड़ताल के बाद NSA प्रावधानों के तहत उनकी चल रही कैद के बीच मिला है, जो 24 सितंबर 2025 को हिंसक विरोध प्रदर्शनों में 4 नागरिकों की मौत के बाद खत्म हुई थी.
24 सितंबर को हिंसक हो गया था वांगचुक का आंदोलन
वांगचुक की शांतिपूर्ण भूख हड़ताल का मकसद लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और नाजुक हिमालयी इकोसिस्टम और स्वदेशी अधिकारों की रक्षा के लिए संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग करना था. यह आंदोलन बाद में 24 सितंबर को लेह में विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसक हो गया, जिससे जानमाल का नुकसान हुआ और बड़े पैमाने पर सुरक्षा कार्रवाई हुई.
स्थायी जल प्रबंधन में वांगचुक की अहम भूमिका
TIME का यह सम्मान वांगचुक के ‘आइस स्तूप’ के आविष्कार के माध्यम से स्थायी जल प्रबंधन में उनके अभूतपूर्व काम का जश्न मनाता है, जो ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्र में पानी की कमी से निपटने के लिए बनाए गए आर्टिफिशियल ग्लेशियर हैं. प्राचीन लद्दाखी ज्ञान से प्रेरित होकर, ये शंकु के आकार के बर्फ के टावर सर्दियों में पिघले हुए पानी को जमा करते हैं और वसंत में इसे छोड़ते हैं, जिससे दुनिया के सबसे सूखे, सबसे ऊंचे इलाकों में से एक में किसानों के लिए सिंचाई सुनिश्चित होती है.
लद्दाख के 11,500 फीट की ऊंचाई वाले कठिन इलाके में जन्मे और पले-बढ़े वांगचुक ने पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान को आधुनिक इंजीनियरिंग के साथ मिलाकर स्केलेबल जलवायु समाधान बनाए. उनके इस इनोवेशन को तब से नेपाल, पाकिस्तान, चिली और स्विस आल्प्स में दोहराया गया है, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली है.
रेगिस्तानों को उपजाऊ भूमि में बदला
TIME100 क्लाइमेट सूची, जो अब अपने तीसरे संस्करण में है, उन वैश्विक हस्तियों पर प्रकाश डालती है, जिन्होंने मापने योग्य जलवायु प्रभाव डाला है, और बयानबाजी के बजाय ठोस परिणामों पर जोर दिया है. मैगजीन में वांगचुक की प्रोफाइल इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे उनके विचारों ने ‘जमे हुए रेगिस्तानों को उपजाऊ भूमि में बदल दिया’ और उन्हें ‘हिमालय और वहां रहने वाले लोगों दोनों का रक्षक’ बताया गया है.
सोनम वांगचुक की पत्नी ने सरकार को घेरा
उनकी पत्नी, गीतांजलि जे. आंगमो, जो वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (HIAL) की हेड हैं, ने सोशल मीडिया पर TIME की घोषणा शेयर करते हुए इसे ‘गहरी विडंबना’ का पल बताया.
आंगमो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रपति भवन को टैग करते हुए लिखा, “जबकि उनकी अपनी सरकार सोनम वांगचुक को देशद्रोही और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताने में व्यस्त है, TIME मैगज़ीन उन्हें दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक मानती है जो असली क्लाइमेट एक्शन चला रहे हैं.”
वांगचुक को सितंबर में किया गया था गिरफ्तार
इस वैश्विक सम्मान ने उनकी हिरासत पर बहस फिर से शुरू कर दी है. आलोचकों ने इसे भारत द्वारा कार्यकर्ताओं के साथ किए जाने वाले व्यवहार का एक गंभीर प्रतिबिंब बताया है. वांगचुक को सितंबर में NSA के तहत गिरफ्तार किया गया था. यह एक प्रिवेंटिव डिटेंशन कानून है जो बिना ट्रायल के जेल में डालने की इजाज़त देता है. उन्हें लद्दाख की जमीन, संस्कृति और पर्यावरण के लिए संवैधानिक सुरक्षा की मांग करते हुए एक शांतिपूर्ण अभियान चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया था.

