
JNU विवाद: दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान हिंसा, ABVP और वामपंथी छात्र संगठनों में आरोप-प्रत्यारोप
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 2 अक्टूबर की शाम दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान कथित रूप से दो छात्र संगठनों के बीच टकराव हो गया, जिससे परिसर में अफरा-तफरी मच गई। विवाद तब शुरू हुआ जब शोभायात्रा के दौरान चप्पल दिखाने, पत्थरबाजी और नारेबाजी की घटनाएं सामने आईं। इस घटना के बाद ABVP और वामपंथी छात्र संगठनों के बीच गंभीर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
ABVP का आरोप: धार्मिक आयोजन को बाधित किया गया
ABVP का कहना है कि दुर्गा पूजा के दौरान परिसर में दस दिनों तक शांति और श्रद्धा का वातावरण बना रहा, जिसमें हजारों छात्रों ने हिस्सा लिया। लेकिन विसर्जन के दौरान वामपंथी संगठनों – AISA, SFI और DSF – के कार्यकर्ताओं ने शोभायात्रा पर हमला किया, छात्रों पर चप्पलें और पत्थर फेंके तथा आपत्तिजनक नारे लगाए। संगठन का कहना है कि इस हमले में कई विद्यार्थी घायल हुए हैं।
ABVP JNU अध्यक्ष मयंक पंचाल ने इसे विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि छात्रों की आस्था और भारतीय परंपराओं पर सीधा प्रहार है। संगठन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
ABVP के मंत्री प्रवीण पीयूष ने कहा कि वामपंथी संगठनों का यह व्यवहार न केवल असहिष्णुता को दर्शाता है, बल्कि छात्राओं पर पत्थरबाजी करना विशेष रूप से निंदनीय है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह एक सोची-समझी साजिश के तहत किया गया हमला था।
वामपंथी संगठनों का पक्ष: रावण पुतला जलाने को लेकर विरोध था
वहीं वामपंथी छात्र संगठनों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए एक भिन्न दृष्टिकोण सामने रखा है। उनके अनुसार विवाद दुर्गा विसर्जन को लेकर नहीं, बल्कि ABVP द्वारा विश्वविद्यालय के कुछ पूर्व छात्रों – उमर खालिद, शरजील इमाम, अफ़ज़ल गुरु और अन्य – की तस्वीरें लगाकर उन्हें रावण के पुतले में शामिल किए जाने को लेकर था।
वाम छात्र संगठनों का कहना है कि इस पुतले का विरोध करना उनकी वैचारिक असहमति थी, और इसे धार्मिक भावना से जोड़ना गलत है। उन्होंने एक तस्वीर साझा करते हुए दावा किया कि शुरुआत में चप्पल ABVP के सदस्यों द्वारा दिखाई गई थी, जिससे टकराव की स्थिति बनी।
वामपंथी संगठनों ने आरोप लगाया कि ABVP जानबूझकर मामले को धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहा है ताकि परिसर में ध्रुवीकरण किया जा सके। उनका कहना है कि दुर्गा पूजा शांति से संपन्न हुई थी और किसी भी प्रगतिशील छात्र संगठन ने आयोजन में अवरोध नहीं डाला।
निष्कर्ष: जांच और कार्रवाई की मांग
घटना के बाद जेएनयू प्रशासन पर भी दबाव बढ़ गया है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई करे। दोनों पक्षों ने अपने-अपने दृष्टिकोण को सही ठहराया है, लेकिन परिसर में एक बार फिर से विचारधारात्मक टकराव ने उग्र रूप ले लिया है।
अब देखना यह होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस संवेदनशील मामले को कैसे संभालता है, और क्या दोनों पक्ष किसी समाधान की ओर बढ़ते हैं या टकराव और गहराता है।