
शादी के बाद अगर पति पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करता है, तो क्या यह कानूनन अपराध माना जाएगा? बेंगलुरु में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक नवविवाहित महिला ने अपने पति से दो करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा क्योंकि शादी के कई हफ्तों बाद भी पति ने उसके साथ यौन संबंध नहीं बनाए। इस स्थिति में पत्नी के अधिकार और कानूनी उपायों को समझना जरूरी हो जाता है।
भारत में विवाह केवल सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि कानूनी अनुबंध भी है, जिसमें पति-पत्नी दोनों के अधिकार और कर्तव्य निर्धारित होते हैं। शादी के बाद शारीरिक संबंध वैवाहिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। यदि पति बिना किसी उचित कारण के लंबे समय तक फिजिकल रिलेशन से इंकार करता है, तो इसे कानूनी दृष्टि से मानसिक क्रूरता माना जा सकता है।
अदालतों ने कई मामलों में स्पष्ट किया है कि बिना कारण शारीरिक संबंध से इनकार करना पत्नी के अधिकारों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि यह व्यवहार मानसिक क्रूरता के अंतर्गत आता है, जो तलाक का आधार बन सकता है।
ऐसे मामलों में पत्नी अपने अधिकारों के लिए भारतीय दंड संहिता और पारिवारिक कानूनों के तहत मुआवजा या तलाक के लिए याचिका दायर कर सकती है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(ia) के तहत शारीरिक संबंध न बनाने को तलाक का कारण माना जाता है। इसके अलावा, पत्नी धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण और आर्थिक सहायता भी मांग सकती है, खासकर जब पति उसे भावनात्मक या आर्थिक रूप से भी अकेला छोड़ता है।
मुआवजा तभी मिल सकता है जब यह साबित हो कि पति के फिजिकल रिलेशन से इंकार करने का कोई वैध चिकित्सीय कारण या गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं है। यदि पत्नी मानसिक या भावनात्मक रूप से प्रताड़ित हुई हो और अदालत में इसके ठोस सबूत पेश किए जाएं, तो उसे मुआवजा मिलना संभव है।