Tuesday, August 26, 2025
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इस साल अब तक सोने की कीमत 27 प्रतिशत बढ़कर शेयर को मात देने के लिए रही है, अब आगे की दिशा में कहां जा सकता है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

सोने की कीमत: वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय बैंकों ने इस साल सोने की खरीद में कुछ कमी देखी है। पहले तिमाही में 244 टन सोना खरीदा गया था, जबकि दूसरे तिमाही में यह कम होकर 166 टन रह गया है।

सोने की कीमत इस साल बहुत अच्छी तरह से बढ़ी है। टैरिफ के कारण दुनिया भर में वैश्विक अस्थिरताएं बनी हुई हैं जिसका असर सोने की कीमत पर भी हो रहा है। पिछले कुछ सालों में सोने की कीमत 20 प्रतिशत तक बढ़ गई थी, लेकिन इस साल यह 27 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। इसलिए, निवेश के मामले में, सोने को अन्य सभी प्रकार के एसेट्स से अधिक प्रभावी माना जा सकता है।

सोना ने शेयरों को पीछे छोड़ दिया।

सवाल उठता है कि आखिर सोने के मुकाबले इक्विटी और बॉण्ड क्यों पीछे रह गए? अगर इक्विटी की बात करें तो वैश्विक उथल-पुथल के बीच इस साल इनसे केवल 5 से 10 प्रतिशत तक का ही रिटर्न मिला है. भारत में बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 ने करीब 6 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. वहीं वैश्विक बाजार में एसएंडपी 500 ने 8 प्रतिशत, नैस्डेक ने 10 प्रतिशत और डाउ 30 ने करीब 5 प्रतिशत का रिटर्न निवेशकों को दिया है.
अगर ऋण बाजार (Debt Market) की बात करें तो इसका प्रदर्शन भी इस साल कमजोर ही रहा है. एसएंडपी यूएस एग्रीगेट बॉन्ड इंडेक्स ने अब तक (YTD) केवल 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है. वहीं डेट-मीडियम ड्यूरेशन कैटेगरी का औसत रिटर्न अब तक (YTD) 6 प्रतिशत से भी कम रहा है.

10 साल में सोने का प्रदर्श
पिछले दस सालों में सोने ने करीब 11 प्रतिशत का औसत रिटर्न दिया है। इसका मतलब है कि दस साल में यह 1,111 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर अब 3,350 डॉलर प्रति औंस हो चुका है।

सोने में दी जाने वाली तेजी की वजह

सोने की कीमत में बढ़ोतरी किसी एक कारण से नहीं हुई है। इसके पीछे कई कारक हैं – बदलते वैश्विक भूराजनीतिक हालात, केन्द्रीय बैंकों की तरफ से सोने की रिकॉर्ड खरीदारी, युद्ध जैसी परिस्थितियाँ, अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से लगाए गए हाई टैरिफ और बढ़ता यूएस ऋण।

इन सभी कारणों से सोने की कीमत में ऐतिहासिक तेजी देखने को मिली है। साथ ही, निवेशकों के मन में अनिश्चितताओं को लेकर बना डर भी सोने की मांग को लगातार बढ़ा रहा है। यही वजह है कि इस साल सोने ने बाकी सभी निवेश विकल्पों से कहीं बेहतर रिटर्न दिया है.

विश्व स्वर्ण परिषद के आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय बैंकों ने इस साल सोने की खरीद में कुछ गिरावट देखी है। पहले क्वार्टर में 244 टन सोना खरीदा गया था, जबकि दूसरे क्वार्टर में यह कम होकर 166 टन रह गया। रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले 12 महीनों में केंद्रीय बैंकों की योजना है कि वे अपनी सोने की भंडारी को 43 प्रतिशत तक बढ़ाएं।

कितनी दूर जा सकता है सोना?

वर्तमान में सोने की कीमत 1,00,450 रुपये प्रति 10 ग्राम है, जिसने 23 जुलाई को पहली बार 1 लाख रुपये का स्तर पार किया था. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का दाम 3,375 डॉलर प्रति औंस है, जो पिछले 12 महीनों में करीब 35 प्रतिशत का रिटर्न है. अब सोने की मूल्यवृद्धि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यापार की स्थिति पर निर्भर होगी। यदि आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितताएं जारी रहती हैं, तो सोने की कीमत और महत्व बढ़ सकता है।

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