Friday, August 22, 2025
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GST 2.0 के बाद सरकार को सालाना 85000 करोड़ का नुकसान होगा, लेकिन फिर भी इकोनॉमी को गति मिलेगी। इसके बावजूद, कैसे?

GST 2.0: SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी सुधारों से खपत लगभग 1.98 लाख करोड़ तक बढ़ सकती है, लेकिन इससे सरकार के रेवेन्यू में 85,000 करोड़ तक की कमी आ सकती है।GST 2.0: भारत सरकार इस साल अक्टूबर तक टू-टियर जीएसटी स्ट्रक्चर लागू करने की तैयारी में जुटी हुई है। इसमें 2 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब को खत्म कर 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के स्लैब को रखने की बात की जा रही है। इससे बेशक हर रोज की जिंदगी में काम आने वाली चीजें सस्ती हो जाएंगी जैसे कि FMCG, सीमेंट, छोटी कारें और एयरकंडीशनर वगैरह सस्ती हो जाएंगी.हालांकि, इससे सरकार को सालाना 85,000 करोड़ तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कारोबारी साल 2025-26 में अक्टूबर से मार्च तक के बीच सरकार को लगभग 45,000 करोड़ रुपये के घाटे का सामना करना पड़ सकता है। अच्छी बात यह है कि इससे कंजप्शन के लगभग 1.98 लाख करोड़ तक पहुंचने की भी उम्मीद है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधार के संकेत दिए थे। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान होगा, लेकिन खपत बढ़ेगी, तो अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इसका असर देश की जीडीपी पर देखने को मिलेगा। SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

दो वर्गों में वस्तुएं वितरित की जाएंगी।

नए व्यवस्था के अनुसार, दो ही टैक्स स्लैब होंगे। चीजों को ‘मानक’ और ‘आवश्यक’ दोनों कैटेगरी में विभाजित किया जाएगा। पान मसाला, तंबाकू और ऑनलाइन गेमिंग जैसी चुनिंदा वस्तुओं पर 40 प्रतिशत तक का टैक्स लिया जाएगा। SBI के अनुसार, प्रभावी औसत जीएसटी दर साल 2017 से लगातार कम हो रही है। इसके अनुसार, सितंबर 2019 तक यह 14.4 प्रतिशत से 11.6 प्रतिशत तक गिर चुका है और अब दरों में संशोधन के साथ यह नीचे 9.5 प्रतिशत तक जा सकता है।

महंगाई में कमी आ सकती है गिरावट।

जीएसटी सुधारों से हालात हो सकता है कि रेवेन्यू को कुछ हानि हो, लेकिन इसके बावजूद GDP में 0.6 प्रतिशत का वृद्धि की उम्मीद है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को उपभोग योग्य वस्तुओं की मजबूत मांग का समर्थन मिलेगा। एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस कदम से महंगाई बढ़ने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि आम उपभोग वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी। नई व्यवस्था के तहत उपभोक्ता मूल्य सूचक (CPI) में मुद्रास्फीति में 20-25 बेसिस पॉइंट की कमी आ सकती है। इस प्रस्ताव पर राज्यों के वित्त मंत्री बुधवार और गुरुवार को चर्चा करेंगे। अगर सहमति हो गई, तो अगले महीने इसे जीएसटी काउंसिल की बैठक में रखा जाएगा.

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