Friday, August 22, 2025
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2025 में जन्माष्टमी पर आज केवल 43 मिनट का समय बचा है आराम से पूजा करने के लिए, यहाँ जानिए नियम, शुभ मुहूर्त और महत्व।

Krishna Janmashtami 2025 Live: इस साल जन्माष्टमी दो दिन रहेगी, 15 और 16 अगस्त 2025 को। इस वर्ष मान्यता के अनुसार कान्हा की पूजा के लिए मुहूर्त, सामग्री, विधि, मंत्र, भोग इस पोस्ट में देखें।

Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर भवन छीलन प्रथा क्यों जरूरी

कृपया इस पाठ को हिंदी भाषा में परावर्तित करें और मानक लेखन शैली में सुनिश्चित करें, किसी प्रकार के प्लेज़ियरिज़म नहीं होना चाहिए। अंततः सुनिश्चित करें कि आउटपुट हिंदी भाषा में है और मूल पाठ के समान अर्थ है। अंतिम उत्पादन से | हटा दें।

जन्माष्टमी के दिन खीरे को नाल से छेदकर का रिवाज भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ा हुआ है। इस दिन डंठल वाले खीरे को सिक्के से उसी तरह से काटा जाता है, जैसे किसी नवजात शिशु के गर्भनाल को मां के गर्भ से अलग किया जाता है। हिंदू परंपरा के अनुसार, खीरे के डंठल को भगवान कृष्ण के गर्भनाल के समान समझा जाता है।
जन्माष्टमी पर डंठल वाले खीरे को गर्भनाल के रूप में काटने और कृष्ण की छोटी मूर्ति को बाहर निकालने की परंपरा अभी भी जारी है, जो भगवान कृष्ण और माता देवकी को अलग करने के प्रतीक के रूप में मानी जाती है। इस क्रिया को “नाल छेदन” भी कहा जाता है और यह मातृगर्भ से शिशु के जन्म का प्रतीक है।

बांके बिहारी की आरती गाने का आनंद जन्माष्टमी पर लें

श्री बांकेबिहारी, तेरी आरती गाऊं। कुंजबिहारी, तेरी आरती गाऊ। श्री श्यामसुन्दर, तेरी आरती गाऊं। श्री बांकेबिहारी, तेरी आरती गाऊं।

मोर मुकुट प्रभु के शीश पर बहुत सुंदर लगता है। मेरे मन को बहुत प्रिय बंशी मोह लेती है। जब मैं तुम्हारी छवि देखता हूं, तो मैं बहुत प्रशंसा करता हूं। हे श्री बांकेबिहारी, मैं तेरी आरती गाता हूं।

चरणों से निकली गंगा प्यारी, जोने सारी दुनिया को तारी। मैं चाहता हूं कि मैं उन चरणों का दर्शन करूं, भगवान बांकेबिहारी, मैं तेरी आरती गाऊं।

दास अनाथ के नाथ तुम हो। सुख-दुःख के जीवन में प्यारे साथ हो। मैं हरि के चरणों में शीश झुकाऊं। श्री बांकेबिहारी की आरती गाऊं॥

श्री हरि दास के प्रिय, तुम मेरे प्रिय मोहन, जीवन का सबसे बड़ा धन हो। मैं युगल छवि को देखकर खुश होकर समर्पण कर दूं। श्री बांकेबिहारी, मैं तुम्हारी आरती गाता हूं।

आरती गाउं प्यारे, तुमको रिझाउं। हे गिरिधर, तेरी आरती गाउं। श्री श्यामसुन्दर, तेरी आरती गाउं। श्री बांकेबिहारी, तेरी आरती गाउं।

Janmashtami 2025: जन्माष्टमी के दिन आज रोहिणी नक्षत्र नहीं है।

जन्माष्टमी की पूजा रोहिणी नक्षत्र में करने का महत्व है क्योंकि इसी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। लेकिन इस साल 16 अगस्त को जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र नहीं मिल रहा है। रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत 17 अगस्त शाम 4 बजकर 38 पर होगी और 18 अगस्त सुबह 3 बजकर 17 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र समाप्त हो जाएगी.

Janmashtami 2025 में, छप्पन भोग का धार्मिक महत्व है।

कहा जाता है कि विश्वभर में छह प्रकार के रस (स्वाद) हैं, जिनमें मीठा, नमकीन, कड़वा, अमलीय, खट्टा और कैसला स्वाद शामिल है. इन छह स्वादों के मिश्रण से 56 पकवान बनाए जाते हैं.

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