हिमाचल प्रदेश समाचार: स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शांडिल ने बताया कि शिमला में सरकारी क्षेत्र में एक नशा मुक्ति केंद्र स्थापित करने के विकल्पों की खोज की जाएगी ताकि नशे के प्रभावित लोगों को सही उपचार प्राप्त हो सके।

हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, सैनिक कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल ने बताया कि आईजीएमसी में उपचाराधीन नशे के आदी लोगों को मानसिक रोगियों के साथ नहीं रखा जाएगा। उन्होंने इस दिशा में सरकार के कदमों की सराहना की। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने मंगलवार (12 अगस्त) को अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर बचत भवन में हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति की ओर से युवा बचाओ अभियान के तहत ‘द व्हाइट ट्रुथ’ वेब सीरीज का ट्रेलर लॉन्च किया। इसके बाद उन्होंने अपने विचार साझा किए।
वेब सीरीज के माध्यम से जागरूकता फैलाना हमारा लक्ष्य है।
यह सीरीज नशे की गिरफ्त में आ चुके लोगों के ऊपर आधारित है जिसमें 7 एपिसोड होंगे. नशे के खिलाफ आप समाज में किस तरह अपनी भूमिका निभा सकते है, इस वेब सीरीज के माध्यम से जागरूकता फैलाने का लक्ष्य है. वेब सीरीज को टीएफटी प्रोडक्शन की ओर से बनाया गया है. यह वेब सीरीज ज्ञान विज्ञान समिति के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध रहेगी.
‘जिंदगी कीमती, नशे में न करें खत्म’
कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि ने कहा कि मानव जीवन अत्यंत मूल्यवान है, इसे नशे के चक्र में फंसाकर नष्ट नहीं करना चाहिए। आजकल हर जगह नशे का व्यापार फैल चुका है। सीमाओं के माध्यम से विदेशों से भारत में नशे की वास्तविकता पहुंचा रही है। सुरक्षा एजेंसियां काम तो कर रही हैं, लेकिन इसमें और भी जोर लगाने की आवश्यकता है।
इसी तरह प्रदेश में भी नशे के विरुद्ध संघर्ष के लिए सरकार ने कठोर नियम लागू किए हैं। प्रदेश में नशे के बढ़ते प्रवाह को रोकने के लिए आम जनता भी अपना समर्थन दे रही है। उन्होंने कहा कि अपनी मजबूत इच्छाशक्ति से अपने आप को सुनिश्चित रखें, फिर आप सभी बुराइयों को परास्त कर सकते हैं। नशा किसी को भी अविश्वसनीय बना देता है। हिमाचल प्रदेश को नशामुक्त बनाने के लिए हम सबको मिलकर काम करना चाहिए।
महिलाओं के लिए एक नशा मुक्ति केंद्र बनाने के बारे में सोच रहे हैं।
वहीं शिमला में सरकारी क्षेत्र में एक नशा मुक्ति केंद्र स्थापित करने के विकल्प तलाशे जाएंगे ताकि नशे के आदि लोगों को सही उपचार मिल सके. उन्होंने कहा कि जिन नशा मुक्ति केंद्रों में नशे का कारोबार किया जा रहा है उनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी. प्रदेश में महिलाओं के लिए अलग से नशा मुक्ति केंद्र बनाने की दिशा में हमारी सरकार विचार कर रही है. प्रदेश में नशे की आदि लड़कियों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है.
‘नशे की चपेट में फंसना बहुत कठिन था’
नशे को हराने में सफल हुए पंकज ने अपने अनुभव साझा किया कि उन्होंने छह साल तक चिट्टा लिया था. पहले उन्होंने 14 साल तक भांग का सेवन किया था. चिट्टा लेने पर उन्होंने कई बार शरीर में इंजेक्शन दिए. कई बार इंजेक्शन देने के लिए नसें भी नहीं मिलती थीं. वे नशा छोड़ना चाहते थे लेकिन ऐसा कर नहीं पा रहे थे.
पंकज ने कहा, “मैं ज्यादा से ज्यादा दो दिन तक बिना नशे के रह नहीं पाता था. तीसरे दिन मुझे डोज की जरूरत होती थी. मेरे 14 दोस्तों ने नशे में अपनी जान गंवाई है. मेरे परिवार ने मेरा साथ दिया और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में मेरा इलाज करवाया. अगर मेरे परिवार वाले मेरे साथ न होते तो शायद मैं नशे से निकल न पाता. परिवार वालों का साथ नशा छोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.”