ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशिकिआन की पाकिस्तान यात्रा में दोनों देशों ने व्यापार, परिवहन और रणनीतिक सहयोग पर कई समझौते किए। इस मुलाकात ने दोनों देशों के बीच और भी मजबूत संबंधों की बुनियाद रखने में मदद की।

ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशिकिआन ने पहली पाकिस्तान यात्रा के दौरान इस्लामाबाद के साथ दोस्ती को मजबूत करने की घोषणा की है। इस यात्रा में पाकिस्तान और ईरान के बीच व्यापार और तकनीकी सहयोग को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं। इन समझौतों के अनुसार, पाकिस्तानी व्यापारियों को अब ईरान के सड़क जाल से यूरोप और रूस तक माल भेजने की सुविधा होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह एक तेज और कारगर विकल्प होगा जो समुद्री जहाजों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक होगा।
माना जा रहा है कि इस आपूर्ति का तंत्र अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) के माध्यम से होगा, जो भारत के मुंबई बंदरगाह से आरंभ होकर ईरान के पार रूस और यूरोप तक पहुंचता है। भारत और रूस मिलकर इस कॉरिडोर को विकसित कर रहे हैं, जिसमें भारत द्वारा निर्मित चाबहार पोर्ट का महत्वपूर्ण योगदान होगा।
चीन की नजर INSTC से CPEC को जोड़ने पर
चीन चाहता है कि वह अपने CPEC परियोजना को INSTC के माध्यम से जोड़े, ताकि उसका प्रभाव मध्य एशिया और खाड़ी देशों तक पहुंचे और बढ़े। चीन की इस पहल का उद्देश्य मलक्का स्ट्रेट पर अपनी निर्भरता कम करना है, जहां भारत और अमेरिका की सैन्य मौजूदगी मजबूत है। इस सामरिक साझेदारी से चीन को रणनीतिक लाभ हो सकता है।
$10 अरब तक व्यापार बढ़ाने का रखा गया लक्ष्य
ईरान और पाकिस्तान ने मिलकर निर्णय लिया है कि वे अपने आपसी व्यापार का बजट तीन अरब डॉलर से बढ़ाकर दस अरब डॉलर तक बढ़ाएंगे। यह फैसला उन्होंने आर्थिक संबंधों को नए मापदंडों तक ले जाने के लिए महत्वपूर्ण माना है।
पाकिस्तान की दोहरी नीति एक बार फिर बेनकाब
ईरानी राष्ट्रपति का स्वागत करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए नूर खान एयरबेस पहुंचे। यह पाकिस्तान की रणनीतिक कोशिशों का एक हिस्सा है, जिससे वह अमेरिका को खुश करते हुए ईरान से भी रिश्ते मजबूत करना चाहता है। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान की इच्छा है कि ईरान अपने क्षेत्र से काम कर रहे बलूच विद्रोहियों को नियंत्रित करे, जिनके बारे में पाकिस्तान दावा कर रहा है कि उन्हें भारत से समर्थन मिलता है।
ITI रेलमार्ग को लेकर पाकिस्तान, ईरान और तुर्किये में बनी सहमति
पाकिस्तान और ईरान के बीच इस्लामाबाद से तेहरान तक जाने वाले 6,540 किमी लंबी रेललाइन की एक समझौता हुआ है, जो अब केवल 10 दिनों में पूरा हो सकेगा। इससे पहले यह यात्रा समुद्री रास्ते से 21 दिन लेती थी।
रेलमार्ग का विभाजन इस प्रकार है – पाकिस्तान में 1990 किमी, ईरान में 2603 किमी और तुर्की में 1950 किमी। यह प्रोजेक्ट 2009 में आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ है। इसे दोबारा सक्रिय करने की योजना है।
भारत के लिए खतरे की घंटी – ग्वादर और चाबहार का लिंक
पाकिस्तान अब ग्वादर और चाबहार पोर्टों को एक साथ जोड़ने की योजना बना रहा है। चाबहार पोर्ट भारत द्वारा निर्मित है, जबकि ग्वादर पोर्ट चीन का परियोजना है। पाकिस्तानी राष्ट्रपति को ईरान ने सिल्क रूट से जुड़ने का प्रस्ताव दिया है और ग्वादर-चाबहार समुद्री व्यापार पर भी चर्चा की गई है। ग्वादर पोर्ट पर चीन एक नौसेना आधार भी बना रहा है, जिससे भारत के लिए सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं।