देहरादून। भारतीय वन सेवा के चर्चित अधिकारी IFS संजीव चतुर्वेदी ने उत्तराखंड में भी बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी और वन संरक्षक विनय कुमार भार्गव को ‘गंभीर वित्तीय अनियमितताओं’ के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह कार्रवाई उत्तराखंड कैडर के वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है, जिसमें भार्गव के पिथौरागढ़ वन मंडल अधिकारी के कार्यकाल के दौरान हुई धांधलियों का खुलासा हुआ है।
आरोप है कि करोड़ों रुपये की ये अनियमितताएं 2019 में पिथौरागढ़ वन प्रभाग के मुनस्यारी रेंज में बिना किसी पूर्व स्वीकृति और सक्षम अधिकारियों की मंजूरी के कंक्रीट संरचनाओं के निर्माण से संबंधित हैं। इन अनियमितताओं में निर्माण सामग्री की आपूर्ति के लिए एक निजी फर्म का चुनाव करना और बिना किसी निविदा प्रक्रिया तथा सक्षम अधिकारियों की मंजूरी के उसे एकमुश्त भुगतान करना भी शामिल है।
यह भी बताया गया है कि आरक्षित वन क्षेत्र में हुआ यह पूरा निर्माण वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के प्रावधानों का उल्लंघन था, क्योंकि केंद्र सरकार से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी। मुनस्यारी रेंज में भार्गव के डीएफओ के रूप में तैनात रहने के दौरान हुए इस अनधिकृत निर्माण में एक छात्रावास, वन कुटीर उद्योग उत्पादों के लिए एक बिक्री केंद्र, 10 वीआईपी इको हट और एक ग्रोथ सेंटर का निर्माण शामिल है।

संजीव चतुर्वेदी द्वारा दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में प्रस्तुत 500 से अधिक पन्नों की अपनी जांच रिपोर्ट में, उन्होंने भार्गव के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने और धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) की जांच के लिए मामले को सीबीआई और ईडी को स्थानांतरित करने की सिफारिश की है, क्योंकि कथित अपराध अनुसूचित अपराधों की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने 2015 के एक पुराने मामले का भी जिक्र किया है, जब वित्तीय अनियमितता के आरोप जांच में सिद्ध होने के बावजूद भार्गव को सरकार द्वारा ‘अनुभव की कमी’ के आधार पर बरी कर दिया गया था।
प्रधान सचिव वन रमेश कुमार सुधांशु द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस में भार्गव से मुनस्यारी में पर्यटन से होने वाली आय का 70 प्रतिशत हिस्सा पातालथौड़, मुनस्यारी की इको डेवलपमेंट कमेटी के साथ साझा करने के लिए अगस्त 2020 में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने के बारे में भी स्पष्टीकरण मांगा गया है, जबकि यह संगठन सितंबर 2020 में ही पंजीकृत हो सका था।
नोटिस में उनसे यह भी पूछा गया है कि पिथौरागढ़ जिले में केवल 14.6 किमी की कुल लंबाई वाली 10 फायर लाइनों के रखरखाव और सफाई पर ₹2 लाख कैसे खर्च किए गए, जबकि उन्होंने 90 किमी की लंबाई का दावा किया है। इस कारण बताओ नोटिस में भार्गव को 15 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी, जिससे यह मामला और भी गंभीर मोड़ ले सकता है।