मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के निर्देशों पर पंजाब को सुरक्षित राज्य बनाने के लिए चल रही मुहिम के दौरान बड़ी जासूसी- विरोधी कार्यवाही करते हुये अमृतसर ग्रामीण पुलिस ने भारतीय फ़ौज के एक जवान और उसके सहयोगी को फ़ौज से सम्बन्धित संवेदनशील डाटा पाकिस्तान की इंटर- सर्विसिज इंटेलिजेंस ( आई. एस. आई.) को लीक करने शक में गिरफ़्तार किया है। यह जानकारी डायरैक्टर जनरल आफ पुलिस ( डीजीपी) पंजाब गौरव यादव ने रविवार को यहाँ दी।
गिरफ़्तार किये गए मुलजिमों की पहचान गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी फ़ौजी निवासी धारीवाल, अमृतसर, जो मौजूदा समय भारतीय फ़ौज के जवान के तौर पर जम्मू में तैनात है और उसके साथी साहिल मसीह उर्फ शाली, जो कि अमृतसर के धारीवाल का रहने वाला है, के तौर पर हुई है।
डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि प्राथमिक जांच से पता लगा है कि गुरप्रीत सिंह पाकिस्तानी आई. एस. आई. के गुर्गों के साथ सीधे संपर्क में था और यह शक है कि वह पैन ड्राइव के द्वारा संवेदनशील और ख़ुफ़िया जानकारी सांझी करता था। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में शामिल मुख्य आई. एस. आई. हैंडलर की पहचान राणा जावेद के तौर पर हुई है।
डीजीपी ने कहा कि गिरफ़्तार किये गए दोनों मुलजिमों के कब्ज़े में से वर्चुअल नंबरों वाले दो मोबाइल फ़ोन बरामद किये गए हैं, जिनका प्रयोग कथित तौर पर आईएसआई के गुर्गों के साथ बातचीत करने के लिए किया जाता था। उन्होंने कहा कि जासूसी-दहशतगर्दी के व्यापक नैटवर्क को जड़ से तबाह करने और इस मामले में सभी सहयोगियों की पहचान करने के लिए और जांच की जा रही है।
अन्य विवरण सांझा करते हुये सीनियर सुपरडैंट आफ पुलिस ( एस. एस. पी.) अमृतसर ग्रामीण मनिन्दर सिंह ने कहा कि मुलजिम गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी फ़ौजी 2016 में फ़ौज में भर्ती हुआ था और यह अंदेशा है कि उसने अपने पद का दुरुपयोग करते हुये पैन ड्राइव और डिस्क द्वारा फ़ौज की ख़ुफ़िया जानकारी जुटायी और पाकिस्तान आईएसआई को लीक की।
उन्होंने कहा कि जासूसी नैटवर्क को कथित तौर पर धारीवाल के एक दुबई- आधारित नशा तस्कर, अर्जुन ने पाँच महीने पहले गुरप्रीत को आईएसआई के गुर्गों के साथ रूबरू करवाया था। उन्होंने बताया कि कि उस समय से, गुरप्रीत पहले से निर्धारित ड्राप स्थानों का प्रयोग करके आईएसआई को फ़ौज का संवेदनशील डाटा सक्रियता से भेजने में लगा हुआ था।
एसएसपी ने कहा कि इस जासूसी गतिविधि को अंजाम देने के बदले दोषी गुरप्रीत को बड़े जटिल नैटवर्क के द्वारा मेहनताना मिल रहा था, जिसमें दोस्तों, रिश्तेदारों और विदेशी सहयोगियों के बैंक खातों का इस्तेमाल किया जाता था जिससे इस गतिविधि का किसी को न पता लगे। ख़ुफ़िया सूचना पर कार्यवाही करते हुये पुलिस टीमों ने गुरप्रीत और उसके साथी साहिल मसीह को तब गिरफ़्तार कर लिया जब वह अन्य संवेदनशील डाटा लीक करने की ताक में थे।
उन्होंने कहा कि व्यापक गठजोड़ का पर्दाफाश करने और अन्य साज़िशकर्ताओं की पहचान करने के लिए आगे जांच जारी है।
इस सम्बन्धी अमृतसर ग्रामीण के पुलिस स्टेशन लोपोके में 21. 06. 2025 को आफिशियल सिक्रेट एक्ट की धारा 3, 5 और 9 और बीऐनऐस की धारा 3 (5) के अंतर्गत एफआईआर नंबर 140 के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है।