मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल मोहाली की ओर से दुर्घटना में दिव्यांग हुए अभियंता को दिए गए 70 लाख रुपये के मुआवजे में कटौती की मांग करना बीमा कंपनी को भारी पड़ गया।

बीमा कंपनी ने दलील दी कि पीड़ित ने हेलमेट नहीं पहना था, वह लापरवाह था, इसलिए मुआवजे में कटौती की जाए। हाईकोर्ट ने पाया कि पीड़ित पगड़ीधारी सिख था और हादसे के समय पगड़ी पहन रखी थी। अदालत ने मुआवजे की राशि को बढ़ाकर 1.95 करोड़ कर दी है।
मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल मोहाली के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल कर बीमा कंपनी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को बताया कि 2010 में एक हादसे में हरमन सिंह धनोआ गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्होंने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल कर एक करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की। साल 2013 में एमएसीटी मोहाली ने उनका दावा मंजूर करते हुए 70 लाख रुपये मुआवजा तय किया था। इस फैसले के खिलाफ पीड़ित और बीमा कंपनी ने अपील दाखिल की थी।
बीमा कंपनी ने दी थी अपील
बीमा कंपनी ने अपनी अपील में कहा था कि यह संयुक्त लापरवाही का मामला बनता है, पीड़ित ने दोपहिया वाहन चलाते हुए हेलमेट नहीं पहना था। हाईकोर्ट ने कहा कि कैप्टन बलदेव सिंह (पीड़ित के दादा) की गवाही के अनुसार पीड़ित पगड़ीधारी सिख था और दुर्घटना के समय उसने पगड़ी बांध रखी थी। पगड़ी धारी सिख के मामले में हेलमेट न पहनना लापरवाही के दायरे में नहीं आता। हाईकोर्ट ने कई मामलों का हवाला देते हुए कहा कि हेलमेट न पहनने को योगदानात्मक लापरवाही नहीं माना जा सकता, जब तक यह साबित न हो कि दुर्घटना इससे प्रभावित हुई।
बीमा कंपनी का यह तर्क भी खारिज कर दिया गया कि वेतन से यात्रा भत्ता हटाया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि वेतन से मिलने वाले सभी लाभों को मुआवजे की गणना में शामिल किया जाना चाहिए। अदालत ने पीड़ित की ओर से दायर अपील पर मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग को समीक्षा के लिए उपयुक्त माना। पीड़ित की 100 प्रतिशत दिव्यांगता को देखते हुए अदालत ने ट्रिब्यूनल की ओर से तय 70.97 लाख रुपये की राशि बढ़ाकर 1.95 करोड़ रुपये कर दी। अदालत ने भविष्य की संभावित आय हानि, चिकित्सा खर्च और अन्य कारकों को ध्यान में रखकर यह फैसला सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह दुर्घटना पीड़ित के जीवन को पूरी तरह से बदल चुकी है, इसलिए उसे न्याय संगत मुआवजा मिलना चाहिए।