कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में लेडी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले की जांच कर रही सीबीआई को मिले एक दस्तावेज से नया खुलासा हुआ है. इसमें बताया गया है कि पीड़िता के पिता और प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों के कहने पर ही उसके शव का पोस्टमार्टम आरजी कर अस्पताल में किया गया था.
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में लेडी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले की जांच कर रही सीबीआई को मिले एक दस्तावेज से नया खुलासा हुआ है. इसमें बताया गया है कि पीड़िता के पिता और प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों के कहने पर ही उसके शव का पोस्टमार्टम आरजी कर अस्पताल में किया गया था. इस दस्तावेज से यह भी पता चला है कि जूनियर डॉक्टरों ने 5 मांगें की थीं, जिसके पत्र पर पीड़िता के पिता के हस्ताक्षर भी हैं.
जूनियर डॉक्टरों और पीड़िता के पिता ने 5 मांगों के साथ एक लिखित पत्र तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष को सौंपा था. उसमें पहली मांग ये थी कि न्यायिक मजिस्ट्रेट की देखरेख में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पीड़िता के शव का पोस्टमार्टम किया जाए. दूसरी मांग, पूरी जांच प्रक्रिया और सभी साक्ष्यों की वीडियो रिकॉर्डिंग करने की थी. तीसरी मांग, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के पैनल में कम से कम 2 महिला सर्जन होनी चाहिए. चौथी मांग, इस घटना की न्यायिक जांच की थी. पांचवीं मांग, शव के पोस्टमार्टम के वक्त चार लेडी ट्रेनी जूनियर डॉक्टरों पीजीटी मौजूद होनी चाहिए. इस मांग पत्र पर पीड़िता के पिता के हस्ताक्षर थे.
इस मांग पत्र को पुलिस चौकी के माध्यम से डीसीपी को भेज दिया गया था. कोलकाता पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने दावा किया कि मृत महिला का पोस्टमार्टम प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांग को स्वीकार करने के बाद की गई थी. इसकी वीडियोग्राफी भी की गई थी. पूरी प्रक्रिया एक न्यायिक मजिस्ट्रेट की की देखरेख में की गई थी. दरअसल, इस मामले में ये सवाल उठाया जा रहा है कि आरजी कर अस्पताल में ही पोस्टमार्टम क्यों किया गया था. जबकि नियम के अनुसार, निष्पक्षता बनाए रखने के लिए पोस्टमार्टम किसी दूसरे अस्पताल में किया जाना चाहिए था. पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के निर्देश पर तथ्य दबाने के भी आरोप लगे हैं.
इस केस की जांच कर रही सीबीआई ने पिछले दिनों कोर्ट में बड़ा खुलासा किया था. जांच एजेंसी का आरोप था कि इस मामले से संबंधित कई झूठे रिकॉर्ड पुलिस स्टेशन में बनाए और बदले गए थे. यह खुलासा ताला थाना प्रभारी अभिजीत मंडल और पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से पूछताछ के दौरान हुआ. इसी आधार पर सीबीआई ने कहा कि उन दोनों से आगे भी पूछताछ किए जाने की जरूरत है. इसके बाद कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 30 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
सीबीआई ने कोर्ट में कहा था कि ताला पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज के डीवीआर और हार्ड डिस्क को डेटा निकालने के लिए कोलकाता सीएफएसएल भेजा गया है. उक्त डेटा और रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों से हिरासत में आगे की पूछताछ की आवश्यकता है, जो कि एक या दो दिन में मिलने की उम्मीद है. दोनों आरोपियों के मोबाइल फोन को भी डेटा निकालने के लिए सीएफएसएल भेज दिया गया है. इन दोनों डेटा के आधार पर अहम सबूत मिलने की संभावना है.
इससे पहले भी सीबीआई ने कोलकाता पुलिस की लापरवाही को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था. जांच एजेंसी ने कहा था कि मुख्य आरोपी संजय रॉय की गिरफ्तारी के दो दिन बाद उसके कपड़े और सामान बरामद किए गए थे. पुलिस ने यह यह जानते हुए कि आरोपी से जुड़े सामान अपराध में उसकी भूमिक तय करने में अहम साबित हो सकते हैं, इसके बावजूद देरी की गई थी. संजय रॉय को 10 अगस्त को सीसीटी को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया था.
उसे वारदात के दिन तड़के 4.03 बजे अस्पताल के सेमिनार हॉल में प्रवेश करते हुए देखा गया था. एक सीबीआई अधिकारी ने कहा था, “अपराध में आरोपी की भूमिका पहले सामने आ चुकी थी, लेकिन पुलिस ने उसके कपड़े और सामान जब्त करने में 2 दिन की अनावश्यक देरी की थी.” कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद 14 अगस्त को सीबीआई ने इस केस की जांच अपने हाथ में ली थी. इससे पहले कोलकाता पुलिस इसकी जांच कर रही थी.
इस मामले में पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला थाना प्रभारी अभिजीत मंडल पर वारदात से जुड़े सबूत नष्ट करने और जांच की दिशा भटकाने का आरोप है. सीबीआई की पूछताछ में भी दोनों सहयोग नहीं कर रहे हैं. एक अधिकारी ने ने कहा कि मुख्य आरोपी और सह-आरोपी के बीच आपराधिक साजिश रचे जाने की संभावना है. ताला पुलिस स्टेशन, क्राइम सीन और मेडिकल कॉलेज के सीसीटीवी फुटेज के साथ दोनों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई है.