Israel-Hezbollah: इजरायल ने भले हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह को खत्म कर दिया हो, लेकिन इसके पीछे कई सालों की मेहनती छुपी हुई है. इसी की बदौलत बेंजामिन नेतन्याहू राहत की सांस ले रहे हैं.
Israel-Hezbollah Conflict History : इजरायल ने हिजबुल्लाह के शक्तिशाली नेता हसन नसरल्लाह को खत्म करके बहुत बड़ी सफलता हासिल की है. हालांकि, इजरायली डिफेंस फोर्स को ये कामयाबी एक दिन में नहीं मिली. इसके लिए इजरायल ने जासूसी एजेंसियों की मदद ली. जिसकी शुरुआत साल 2006 में हो गई थी.
नसरल्लाह को मारने के पहले इजरायल ने इसकी जानकारी अमेरिका को दी थी. हालांकि, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इससे साफ इंकार कर दिया था. उन्होंने कहा था कि ऐसा करने से क्षेत्रीय युद्ध शुरू हो जाएगा, लेकिन इजरायल को पता था कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो हिजबुल्लाह उनके लिए सिरदर्द साबित हो जाएगा.
नसरल्लाह संग उसकी बेटी और हिजबुल्लाह का कमांडर भी बने निशाना
अमेरिका के साथ जानकारी साझा करने के तुरंत बाद इजरायल ने बिना देर किए लेबनान में स्थित हिजबुल्लाह के मुख्यालय की चार मंजिला इमारत पर फाइटर जेट से 80 से अधिक बम गिराकर हसन नसरल्लाह को मौत के घाट उतार दिया. हालांकि, इजरायल ने इस बार अमेरिका को पहले हमले से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी. इसके साथ ही इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह के कई और कमांडर को मौत की नींद सुला दिया, जिसमें नसरल्लाह की बेटी भी शामिल थी.
इजरायल को 18 साल के बाद मिली बड़ी कामयाबी
न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल को इस बात की जानकारी हो गई थी कि नसरल्लाह अपने कुछ शीर्ष लेफ्टिनेंटों से मिलने बेरूत में बने एक बंकर पहुंचा था. इसकी पुख्ता खबर हासिल करने के लिए इजरायल ने अपने खुफिया एजेंसी की मदद ली. जिसे वो सिर्फ इस काम के लिए साल 2006 से लगाए हुआ था.
इसका मतलब इजरायल को 18 साल के बाद हिजबुल्लाह के आतंक को खत्म करने में सफलता हासिल मिली. उन्हें ये भी पता था कि साल 2023 में हमास के खिलाफ जंग शुरू होने बाद हिजबुल्लाह उनपर हमला करेगा. उनकी बात सच साबित हुई और उत्तरी लेबनान की सीमा से आतंकियों ने हमास के समर्थन में कई हमले भी किए थे, लेकिन इस बार इजरायल को जोखिम नहीं लेना चाहता था. इस वजह से उन्होंने अमेरिका को कुछ बताए बिना ही अपनी गुप्त सूचना के आधार पर नसरल्लाह के ठिकानों पर मौत की बारिश कर दी.
कैसे की इजरायल ने हिजबुल्लाह को खत्म करने की तैयारी?
इजरायली खुफिया एजेंसी ने ईरान समर्थित आतंकवादी समूह के साथ 2006 के युद्ध के बाद हिजबुल्लाह के खिलाफ तमाम जानकारियों को जुटाने के लिए दिन-रात एक कर दिया. इसके लिए इजरायल ने पहले से ही दुनिया के सबसे अच्छे खुफिया जानकारी जुटाने वाले मोसाद को और मजबूत करने में कई साल बिताए.
इसके तहत इजरायल की सिग्नल इंटेलिजेंस एजेंसी यूनिट 8200 ने हिज़्बुल्लाह के सेल फोन और अन्य उपकरणों को बेहतर ढंग से रोकने के लिए अत्याधुनिक साइबर उपकरण बनाए. यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ाकू रैंकों के भीतर नई टीमें बनाई कि जिसे बहुमूल्य जानकारी तुरंत सैनिकों और वायुसेना तक पहुंचाई जाए.