Friday, November 8, 2024
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India Oil Purchase: पिछले महीने फिर बढ़ा शेयर, अकेले रूस से भारत ने खरीदा इतना कच्चा तेल

India’s Crude Oil Import: कुछ साल पहले तक इराक और सऊदी अरब भारत के सबसे बड़े कच्चा तेल सप्लायर रहे हैं, लेकिन पिछले साल से आंकड़े बदले हुए हैं और रूस सबसे आगे निकल चुका है…

ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए आयात पर निर्भर भारत के सप्लायर्स में रूस का दबदबा बरकरार है. जून महीने के दौरान एक बार फिर से भारत के द्वारा रूसी तेल की खरीदारी में तेजी आई है. अकेले रूस ने पिछले महीने भारत को जितने कच्चे तेल का आयात किया है, उसकी बराबरी टॉप-5 में शामिल अन्य 4 देश मिलकर भी नहीं कर पाए हैं.

जून में भारत ने रूस से खरीदा इतना तेल

रियल टाइम एनर्जी कार्गो ट्रैकिंग फर्म वोर्टेक्सा के आंकड़ों के अनुसार, जून महीने के दौरान भारत के कच्चा तेल आयात में रूस का हिस्सा बढ़कर 42 फीसदी पर पहुंच गया. उससे एक महीने पहले यानी मई 2024 में रूस की हिस्सेदारी 37 फीसदी रही थी. रूस कई महीनों से न सिर्फ भारत का सबसे बड़ा सप्लायर बना हुआ है, बल्कि जून में तो उसकी अकेले की हिस्सेदारी अन्य 4 टॉप सप्लायर्स की सम्मिलित हिस्सेदारी से भी ज्यादा रही है.

चार प्रमुख देश मिलकर भी रूस से पीछे

आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने के दौरान भारत ने जिन पांच देशों से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीदा, उनमें रूस के अलावा इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका शामिल हैं. भारत के कच्चा तेल आयात में जून महीने में इराक की हिस्सेदारी 16 फीसदी, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की हिस्सेदारी 8-8 फीसदी और अमेरिका की 7 फीसदी रही. यानी इन चारों देशों की हिस्सेदारी मिलाकर 39 फीसदी रही, जबकि अकेले रूस ने 42 फीसदी तेल का आयात किया.

हर रोज रूस से आए 19 लाख बैरल तेल

वोर्टेक्सा के आंकड़े बताते हैं कि पिछले महीने रूस से कच्चे तेल का आयात मासिक आधार पर 13 फीसदी बढ़कर 19.2 लाख बैरल प्रति दिन पर पहुंच गया. वहीं दूसरे नंबर के सप्लायर इराक की हिस्सेदारी इस दौरान 22 फीसदी कम होकर 7.54 लाख बैरल प्रति दिन पर आ गई. सऊदी अरब से आयात 36 फीसदी कम होकर 3.86 लाख बैरल प्रति दिन पर आ गया. वहीं अमेरिकी आयात में 63 फीसदी की तेजी आई और वह 3.30 बैरल प्रति दिन रहा.

इस कारण रूस बना सबसे बड़ा सप्लायर

भारत कच्चा तेल के मामले में आयात पर निर्भर रहता आया है और दशकों से खाड़ी देश भारत के पारंपरिक आपूर्तिकर्ता रहे हैं. हालांकि यह तस्वीर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद बदलने लग गई. अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों के द्वारा रूस पर कई कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए, जिसके बाद रूस ने डिस्काउंट पर कच्चा तेल बेचना शुरू किया. भारत के लिए यह सुनहरा मौका बन गया और इम्पोर्ट बिल को कम करने के लिए सस्ते भाव पर उपलब्ध रूसी तेल की खरीदारी बढ़कर ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गई.

पिछले साल ऐसी रही थी आयात की तस्वीर

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में भारत ने रूस से 16.6 लाख बैरल कच्चे तेल की प्रति दिन खरीद की थी. उससे एक साल पहले 2022 में यह आंकड़ा महज 6.51 लाख बैरल प्रति दिन का था. यानी 2022 की तुलना में 2023 में रूस से भारत की कच्चे तेल की खरीदारी में 155 फीसदी की जबरदस्त तेजी आई थी. इसका सबसे ज्यादा नुकसान खाड़ी देशों को हुआ. खाड़ी देशों से भारत की कच्चा तेल खरीद पिछले साल ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई.

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