विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने अकेलापन को एक गंभीर बीमारी बताया है. डब्लूएचओ के मुताबिक अकेलापन लोगों की जान भी ले सकता है, ये इतना गंभीर बीमारी है कि इससे युवा इससे ड्रिपेशन में जा सकते हैं.
कोविड के बाद से ही दुनियाभर में मानसिक बीमारियां तेजी से बढ़ी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अकेलेपन को इसका कारण बताया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक अकेलापन एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता है. ये कई लोगों को जानलेवा बीमारियों की तरफ धकेल रहा है. जानिए डब्लूएचओ ने अकेलापन को लेकर क्या चिंता जाहिर किया है.
वैश्विक स्तर पर अकेलापन एक गंभीर बीमारी है. अकेलापन का शिकार होकर अलग-अलग कारणों से लोग अपनी जान गवा रहे हैं. डब्लूएचओ के मुताबिक अकेलापन आपको उतनी बीमारियां दे सकता है, जितना आपको 15 सिगरेट दे सकते हैं. अकेलापन एक गंभीर बीमारी है, जिसमें अलग-अलग कारण से व्यक्ति की जान जा सकती है.
वैश्विक समस्या अकेलापन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने अकेलेपन को एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता घोषित किया है. इतना ही नहीं डब्ल्यूएचओ ने इस समस्या पर एक अंतरराष्ट्रीय आयोग बनाया है, जिसका नेतृत्व अमेरिकी सर्जन जनरल, डॉ. विवेक मूर्ति और अफ्रीकी संघ के युवा दूत, चिडो मपेम्बा करेंगे. डॉ. विवेक मूर्ति के मुताबिक अकेलापन एक दिन में 15 सिगरेट पीने जितना बुरा है. वहीं ये मोटापे और फिजिकल इनएक्टिविटी से जुड़े खतरे का कारण है. अकेलापन इस समय बुजुर्गों समेत नौजवानों को भी अपना शिकार बना रहा है.
अकेलेपन का नुकसान
बता दें कि अकेलेपन के कारण डिमेंशिया विकसित होने का खतरा 50% और कोरोनरी धमनी रोग या स्ट्रोक का खतरा 30% बढ़ जाता है. वहीं यह युवाओं की आयु कम कर रहा है. आंकड़ों के मुताबिक 5% से 15% किशोर अकेले हैं. अफ्रीका में 12.7% किशोर अकेलेपन का अनुभव करते हैं, जबकि यूरोप में यह दर 5.3% है.
स्कूल-कॉलेज
बता दें कि स्कूल में अकेलेपन का अनुभव करने वाले युवाओं का विश्वविद्यालय छोड़ने की संभावना अधिक होती है. इससे बहुत खराब आर्थिक परिणाम भी हो सकते हैं. वहीं नौकरी में अलग-थलग और असमर्थित महसूस करने से नौकरी में प्रोडक्टिविटी कम होती है. इसके अलावा ये कई मानसिक बीमारियों की ओर लेकर जाता है. उदाहरण के लिए जैसे डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर से युवा ग्रसित हो सकते हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक अगर आप बहुत ज्यादा अकेलापन महसूस करते हैं, तो आपको थोड़ा सामाजिक होने की जरूरत है. कई बार खुद के साथ जबरदस्ती करके बाहर जाना चाहिए और दोस्तों-यारों के साथ बैठना चाहिए. इससे अकेलापन से निकलने में मदद मिलती है. वहीं एक्सपर्ट के मुताबिक दिक्कत ज्यादा महूसस करने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए. इससे मदद मिलेगी और कोई गलत फैसला लेने से बच सकेंगे.