Friday, September 20, 2024
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Delhi Landfill Site: दिल्ली के पहले इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट पर कूड़े निस्तारण का काम शुरू, होंगे ये फायदे

Landfill Site : सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के मुताबिक आधुनिक प्लांट में कूड़े के निस्तारण के बाद निकली राख को हटाने की व्यवस्था है. लैंडफिल साइट से रोजाना 500 टन राख का निस्तारण होगा.

Delhi News: आईआईटी दिल्ली की मदद से तेहखंड में तैयार दिल्ली के पहले इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट का उद्घाटन मंगलवार को हुआ. दिल्ली के उपराज्यपल विनय कुमार सक्सेना और सीएम अरविंद केजरीवाल ने मिलकर इस लैंडफिल साईट की शुरुआत की. इसके चालू होने से हानिकारक तरल पदार्थों द्वारा भूजल को और ज्यादा जहरीला होने से रोका जा सकेगा. इस लैंडफिल साईट की क्षमता 9.65 लाख मीट्रिक टन कूड़े को निस्तारित करने की है.

उपराज्यपाल ने कहा कि यह अत्याधुनिक प्लांट वैज्ञानिक तरीकों से कूड़ों के निपटान में मददगार होगा. सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि इस आधुनिक प्लांट में कूड़े के निस्तारण के बाद निकली राख को संसाधित करने की व्यवस्था होगी. अधिकारियों ने बताया कि यह साइट अत्याधुनिक तकनीक से बनाया गया है. अत्याधुनिक प्लांट में तल को पांच लेयर से बनाया गया है. साइट पर जो लीचेट उत्पन्न होगा, उसे शोधित करने के लिए 100 किलो लीटर प्रतिदिन की क्षमता का प्लांट भी स्थापित किया गया है.

हर रोज 500 टन राख का होगा निस्तारण

निगम अधिकारियों के मुताबिक पहले इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट के चारों तरफ 3.5 मीटर ऊंची दीवारें बनाई गई है. ताकि यहां राख को एकत्रित किया जा सके. इस साइट में 7.5 मीटर की गहराई कचरे की रोकथाम के लिए कारगर साबित होंगे. यहां वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से निकली हुई राख को निस्तारित किया जाएगा. यहां रोजाना करीब 500 टन राख डाली जा सकेगी. इस राख को डालने के लिए निगम को 300 रुपये प्रति टन के हिसाब से धनराशि दी जाएगी. 

लीचेट से मिलेगी निजात 

अधिकारियों ने बताया कि वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में ठोस कचरे को डालकर रिसाइकल करते हैं, जिससे टाइल्स बनाई जाती है. इसमें लगभग कुछ फीसदी तक राख हर दिन बच जाया करती थी. इसका निस्तारण नहीं होता था. अब उन बचे हुए राख का भी आसानी से निस्तारित किया जा सकेगा. वहीं, इससे लीचेट की भी समस्या दूर हो जाएगी. अधिकारियों ने बताया कि वर्षों तक कूड़ा साइट में जमा रहता है. इस कारण यह एक हानिकारक तरल पदार्थ में तब्दील हो जाता है, जिसे लीचेट कहा जाता है, वह रिसकर जमीन के अंदर जाता है और फिर भूजल को प्रदूषित करता है. लेकिन अब यह समस्या भी इस लैंडफिल साईट की शुरुआत के बाद खत्म हो जाएगी.

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