Friday, September 20, 2024
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अबू धाबी मंदिर के पत्थर पर छेनी-हथौड़े से तराशते दिखे पीएम मोदी, जानें क्या लिखा

पीएम नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी मंदिर के भव्य उद्घाटन से पहले कृत्रिम गंगा-यमुना नदियों का जलार्पण किया. इन नदियों के लिए गंगा और यमुना नदी से जल लाया गया था. सरस्वती नदी को वाइट लाइट से दिखाया गया.
संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में भव्य मंदिर (Abu Dhabi Temple Inauguration) का बुधार (14 फरवरी, 2024) को उद्घाटन किया गया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पत्थर पर छेनी और हथौड़े से कुछ तराशते नजर आए. भव्य मंदिर के उद्घाटन को लेकर यूएई (UAE) का भारतीय समुदाय बेहद खुश है. इस मौके पर बड़ी संख्या में भारतीय लोग वहां पहुंचे थे.

मंदिर की उद्घाटन (BAPS Temple Inauguration) प्रक्रिया से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने यहां पहले हिंदू मंदिर के निर्माण में योगदान देने वाले विभिन्न संप्रदायों के लोगों से मुलाकात की. उन्होंने वैश्विक आरती में भी भाग लिया जो बीएपीएस द्वारा दुनियाभर में बने स्वामीनारायण संप्रदाय के 1200 से अधिक मंदिरों में एक साथ आयोजित की गई. बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था यानी बीएपीएस ने ही मंदिर का निर्माण किया है.

छेनी और हथौड़े से PM Modi ने पत्थर पर क्या तराशा
प्रधानमंत्री ने मंदिर में हथौड़े और छेनी का उपयोग करके पत्थर पर सुधैव कुटुंबकम भी अंकित किया. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने बीएपीएस के आध्यात्मिक गुरु महंत स्वामी महाराज के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया. फिर मंदिर में कृत्रिम रूप से तैयार की गईं गंगा और यमुना नदियों में जलार्पण भी किया.

अधिकारियों ने बताई अबू धाबी मंदिर की खासियत
मंदिर अधिकारियों के अनुसार शिल्प और स्थापत्य शास्त्रों एवं हिंदू ग्रंथों में उल्लेखित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार, भव्य मंदिर बनाया गया है. संयुक्त अरब अमीरात में अत्यधिक तापमान के बावजूद श्रद्धालुओं को गर्मी में भी इन टाइल पर चलने में दिक्कत नहीं होगी. मंदिर में अलौह सामग्री का भी प्रयोग किया गया है. बीएपीएस के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहारीदास ने कहा, ‘यहां वास्तुशिल्प पद्धतियों को वैज्ञानिक तकनीकों के साथ जोड़ा गया है। तापमान, दबाव और गति (भूकंपीय गतिविधि) को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर 300 से अधिक उच्च तकनीक वाले सेंसर लगाए गए हैं। सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव डेटा प्रदान करेंगे. यदि क्षेत्र में कोई भूकंप आता है तो मंदिर इसका पता लगा लेगा और हम अध्ययन कर सकेंगे.’

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