दुनियाभर में ओजोन संबंधी 70 फीसदी मौतें भारत और चीन में हो रही हैं. इस स्पेशल स्टोरी में जानिए आखिर क्या है ये ओजोन, कैसे ये प्रदूषण लोगों की जिंदगियां छीन रहा है और इससे बचाव के क्या उपाय हैं.
भारत समेत दुनियाभर में ओजोन प्रदूषण का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगर क्लाइमेट चेंज और वायु प्रदूषण को कम करने पर ध्यान नहीं दिया गया तो अगले दो दशकों में ओजोन संबंधी मौतों का आंकड़ा और ज्यादा बढ़ जाएगा.
ओजोन प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा भारत को है. स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर के आंकड़ों की मानें तो ओजोन प्रदूषण से भारत में हर साल 168,000 लोगों की असमय मौत हो रही है. ये दुनिया में ओजोन से मौतों का 46 फीसदी हिस्सा है. भारत के बाद सबसे ज्यादा 93,300 मौत चीन में हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों ही देशों में ओजोन प्रदूषण का स्तर काफी अधिक है और जनसंख्या भी ज्यादा है.
दुनियाभर में साल 2019 में ओजोन के संपर्क में आने से अनुमानित 365,000 लोग मौत की नींद सो गए. यह आंकड़ा दुनियाभर में COPD (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से होने वाली सभी मौतों का लगभग 11 फीसदी है. यानी कि सीओपीडी से होने वाली हर 9 मौतों में से 1 के लिए ओजोन जिम्मेदार है.
COPD मरीजों को सबसे ज्यादा खतरा
सीओपीडी एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो फेफड़ों को प्रभावित करती है और सांस लेने में मुश्किल होती है. सीओपीडी का मुख्य कारण स्मोकिंग और अस्थमा होता है. इसके अलावा बढ़ता प्रदूषण भी इस बीमारी मुख्य कारण बनता जा रहा है. ओजोन के संपर्क में आने से सीओपीडी का खतरा और बढ़ जाता है.
ओजोन एक वायु प्रदूषक है जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है. सीओपीडी वाले लोगों में, ओजोन के संपर्क में आने से सांस लेने में तकलीफ, खांसी और सीने में जकड़न जैसे लक्षण बढ़ सकते हैं. यह अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के जोखिम को भी बढ़ा सकता है.
क्या होता है ओजोन प्रदूषण?
ओजोन एक गैस की परत होती है जो सूरज से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है. यह गैस हल्के नीले रंग की होती है. पृथ्वी पर इंसानों और समुद्री जानवरों के जीवन के लिए ओजोन परत का होना बेहद जरूरी है. ये पृथ्वी के वायुमंडल में धरातल से 10 किमी से 50 किमी की ऊंचाई के बीच में पाई जाती है.
अब अगर यह ओजोन जमीन पर आ जाए तो खतरनाक हो जाती है और प्रदूषण का कारण बनती है. ओजोन प्रदूषण तब होता है जब वायुमंडल में ओजोन की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है. तब ये ओजोन प्रदूषण मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है.
अध्यन के अनुसार, पिछले दशक में दुनिया के 20 सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में से 15 में ओजोन प्रदूषण से होने वाली मौतों में वृद्धि देखी गई है. हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि इसी अवधि में इन देशों में ओजोन के स्तर में थोड़ा ही इजाफा हुआ. तो फिर मौतों की संख्या में वृद्धि क्यों हुई? इसका मुख्य कारण है- आबादी में वृद्धि, खासकर बुजुर्गों की संख्या में वृद्धि.
पहले से मौजूद प्रदूषण से बढ़ता है ज्यादा खतरा
येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से जुड़े वैज्ञानिकों के नेतृत्व में ओजोन पर अध्ययन किया गया है. इसके नतीजे जर्नल वन अर्थ में पब्लिश हुए हैं. रिसर्चर्स ने 20 देशों के 406 शहरों में बढ़ते ओजोन प्रदूषण का आंकलन किया. उत्तरी अमेरिका, यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में साल 2054 तक ओजोन संबंधी मौतों में हर साल 6200 तक का इजाफा हो सकता है.
अध्ययन के अनुसान, वायु प्रदूषण ओजोन पर कई तरह से नकारात्मक प्रभाव डालता है. वायु प्रदूषण में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जमीनी स्तर पर ओजोन को बढ़ाते हैं.
किस मौसम में ओजोन प्रदूषण ज्यादा खतरनाक
गर्मी के मौसम में ओजोन प्रदूषण ज्यादा खतरनाक होता है. इसका कारण ये है कि गर्मियों में सूरज की रोशनी तेज होती है जिससे वातावरण में नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसे प्रदूषक तेजी से प्रतिक्रिया करते हैं और ओजोन का निर्माण करते हैं. हालांकि यह यह ठंड के मौसम में भी खतरनाक हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि सर्दी के दौरान हवा में स्थिरता आ जाती है, जिससे प्रदूषक जमीन के पास फंस जाते हैं.
WMO ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सचेत किया है कि अगर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जारी रहता है तो उत्तर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में ओजोन प्रदूषण 20% तक बढ़ जाएगा. जबकि पूर्वी चीन में ओजोन का स्तर 10% तक बढ़ने की आशंका है.
99% आबादी प्रदूषित हवा में सांस लेने के लिए मजबूर
विश्व स्वास्थ्य संगठन वायु प्रदूषण को लेकर दुनिया को कई बार आगाह कर चुका है. अनुमान है कि दुनिया की 99% आबादी खराब हवा में सांस लेने के लिए मजबूर है. इस कारण हर साल करीब 70 लाख लोगों की जान जा रही है. इनमें से 90% मौतें कम और मध्यम आमदमी वाले देशों में होती हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक बयान में कहा था, साफ हवा और साफ वातावरण में सांस लेना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. मगर वायु प्रदूषण करोड़ों लोगों को उनके इस अधिकार से वंचित कर रहा है. इस खतरे से निपटने के लिए ऐसे वाहनों को इस्तेमाल में लाएं जिससे प्रदूषण न हो.
ओजोन प्रदूषण से किन बीमारियों का खतरा और क्या है उपाय
ओजोन प्रदूषण सांस लेने संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है. ओजोन फेफड़ों में जलन पैदा करता है, जिससे अस्थमा के दौरे बढ़ सकते हैं. ओजोन वायुमार्ग में सूजन पैदा करता है, जिससे वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है. ओजोन रक्तचाप बढ़ा सकता है और हार्ट को अधिक मेहनत करने के लिए बाध्य कर सकता है, जिससे हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है.
बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और पहले से ही सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को ओजोन प्रदूषण के प्रति अधिक सावधान रहना चाहिए. इन लोगों को हवा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने और प्रदूषण के चरम के दौरान बाहर जाने से बचना चाहिए.