
टीम इंडिया में जगह बनाना और बीसीसीआई से सैलरी पाना किसी डिग्री पर नहीं, बल्कि क्रिकेट में लगातार अच्छे प्रदर्शन, फिटनेस और अनुशासन पर निर्भर करता है। अगर आपका सपना भारतीय टीम की जर्सी पहनना है, तो यह जानना जरूरी है कि इसके लिए किसी खास शैक्षणिक योग्यता की शर्त नहीं है। आम धारणा के उलट, बीसीसीआई खिलाड़ियों को उनकी पढ़ाई के आधार पर नहीं, बल्कि खेल की क्षमता, मेहनत और मैदान पर प्रदर्शन के अनुसार भुगतान करता है।
बीसीसीआई यानी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की सैलरी प्रणाली पूरी तरह क्रिकेट स्किल, फिटनेस, अनुभव और निरंतर प्रदर्शन से जुड़ी होती है। इसका मतलब साफ है कि अगर कोई खिलाड़ी क्रिकेट में बेहतरीन है, तो कम पढ़ा-लिखा होने के बावजूद भी वह टीम इंडिया तक पहुंच सकता है। भारत में ऐसे कई दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने पढ़ाई से ज्यादा ध्यान क्रिकेट पर दिया और आज करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। हालांकि मौजूदा दौर में बेसिक शिक्षा और समझ होना खिलाड़ियों के लिए फायदेमंद जरूर माना जाता है।
बीसीसीआई टीम में एंट्री कैसे मिलती है?
टीम इंडिया तक पहुंचने की शुरुआत आमतौर पर स्कूल और कॉलेज क्रिकेट से होती है। इसके बाद खिलाड़ी जिला और राज्य स्तर पर खेलते हुए रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी जैसे घरेलू टूर्नामेंट तक पहुंचते हैं। इन प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों पर चयनकर्ताओं की नजर पड़ती है।
जो खिलाड़ी लगातार रन बनाते हैं, विकेट लेते हैं या बेहतरीन फील्डिंग दिखाते हैं, उन्हें पहले इंडिया-ए और फिर राष्ट्रीय टीम में मौका मिल सकता है। इसके अलावा आईपीएल आज एक बड़ा प्लेटफॉर्म बन चुका है, जहां से कई खिलाड़ियों ने सीधे टीम इंडिया में एंट्री हासिल की है।
बीसीसीआई का सैलरी स्ट्रक्चर
बीसीसीआई खिलाड़ियों को ग्रेड सिस्टम के तहत सैलरी देता है—
- ग्रेड A+ : 7 करोड़ रुपये सालाना
- ग्रेड A : 5 करोड़ रुपये सालाना
- ग्रेड B : 3 करोड़ रुपये सालाना
- ग्रेड C : 1 करोड़ रुपये सालाना
अनुशासन और फिटनेस है सबसे जरूरी
बीसीसीआई में बने रहने के लिए सिर्फ टैलेंट काफी नहीं होता। खिलाड़ी को अनुशासन, फिटनेस और टीम नियमों का पालन करना जरूरी होता है। नियमित अभ्यास, फिटनेस टेस्ट और समय की पाबंदी बेहद अहम है। जो खिलाड़ी इन मानकों पर खरे नहीं उतरते, उन्हें टीम से बाहर का रास्ता भी देखना पड़ सकता है।

