
कभी चॉकलेट, कभी आइसक्रीम या फिर कोई हाई-कैलोरी स्नैक—रात के समय ऐसी क्रेविंग आना बहुत आम है। अक्सर मन में यह सवाल भी आता है कि आखिर मेरी इच्छाशक्ति इतनी कमजोर क्यों है। ज्यादातर लोग मान लेते हैं कि रात में खाने की इच्छा आना अनुशासन की कमी है, लेकिन हकीकत इससे अलग है।
दिनभर हम अपनी डाइट पर अच्छी तरह कंट्रोल रखते हैं। नाश्ता और दोपहर का खाना संतुलित होता है और शाम तक सब कुछ ठीक चलता है। मगर जैसे ही रात होती है, खासकर सोने से पहले मीठा खाने की तीव्र इच्छा होने लगती है। हार्वर्ड और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के शोध बताते हैं कि इसके पीछे शरीर और दिमाग का जैविक तंत्र काम करता है, न कि कमजोरी या आलस।
सर्कैडियन रिदम और रात की भूख
हमारे शरीर में मौजूद आंतरिक घड़ी, जिसे सर्कैडियन रिदम कहा जाता है, यह तय करती है कि हमें कब नींद आएगी और कब भूख लगेगी। शाम होते-होते शरीर आराम की अवस्था में जाने लगता है। इस दौरान निर्णय लेने की क्षमता और सेल्फ-कंट्रोल कमजोर हो जाता है, जबकि दिमाग जल्दी खुशी देने वाली चीजों की ओर ज्यादा आकर्षित होता है। इसी वजह से रात में सलाद या हल्का खाना नहीं, बल्कि चॉकलेट, मिठाई और जंक फूड ज्यादा लुभाते हैं।
दिमाग क्यों मांगता है चॉकलेट?
रात के समय दिमाग को तुरंत एनर्जी और अच्छा महसूस करने की जरूरत होती है। चॉकलेट और मीठी चीजें तुरंत शुगर देकर दिमाग के रिवॉर्ड सिस्टम को एक्टिव कर देती हैं। इसलिए दिमाग संकेत देता है कि थोड़ा मीठा खाने से राहत मिलेगी। यह किसी तरह की कमजोरी नहीं, बल्कि दिमाग की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है।
नींद की कमी बढ़ा देती है क्रेविंग
अगर नींद पूरी नहीं होती, तो रात की क्रेविंग और बढ़ जाती है। शोध बताते हैं कि कम नींद लेने से घ्रेलिन हार्मोन (जो भूख बढ़ाता है) 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है, जबकि लेप्टिन हार्मोन (जो पेट भरे होने का संकेत देता है) कम हो जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि भूख ज्यादा लगती है और खुद को रोक पाना मुश्किल हो जाता है।
ब्रेन स्कैन से यह भी पता चला है कि नींद की कमी में हाई-कैलोरी फूड देखकर दिमाग ज्यादा एक्टिव हो जाता है, जबकि सेल्फ-कंट्रोल से जुड़ा हिस्सा धीमा पड़ जाता है। यही वजह है कि रात में चॉकलेट या स्नैक्स से खुद को रोकना कठिन लगता है।
देर रात खाने के नुकसान
अगर देर रात खाने की आदत रोज बन जाए, तो इससे अगले दिन ज्यादा भूख लग सकती है, ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है, नींद की गुणवत्ता खराब होती है और धीरे-धीरे वजन बढ़ने लगता है। मेटाबॉलिज्म पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है। साथ ही, रात में मोबाइल और सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल दिमाग को लगातार एक्टिव रखता है, जिससे क्रेविंग और तेज हो जाती है।
रात की क्रेविंग कैसे करें कंट्रोल?
राहत की बात यह है कि इसके लिए सख्त डाइट या जबरदस्त इच्छाशक्ति की जरूरत नहीं होती। समय पर सोने की आदत डालें, सोने से एक घंटे पहले मोबाइल बंद करें, दिन में पर्याप्त प्रोटीन और फाइबर लें, रात में तेज रोशनी कम रखें और अपने शरीर की नेचुरल रिदम को समझने की कोशिश करें। इससे धीरे-धीरे रात की क्रेविंग अपने-आप कम होने लगती है।

