Delhi Pollution: दिल्ली में रविवार को एक्यूआई 461 तक पहुंच गया था, जो इस सर्दी में शहर का सबसे प्रदूषित दिन और दिसंबर में वायु गुणवत्ता के मामले में दूसरा सबसे खराब दिन रहा.

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण से अब लोगों की जान पर बन आई है. राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों को लेकर कराए गए एक हालिया सर्वेक्षण में शामिल दिल्ली-एनसीआर के 28 फीसदी निवासियों ने माना कि उनके जानने वाले एक या अधिक लोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसका कारण लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना है.
धुंध की चादर में लिपटी दिल्ली
सर्वे के आंकड़े ऐसे समय आए हैं, जब देश की राजधानी धुंध की घनी चादर में लिपटी हुई है और जहरीली हवा लोगों का दम घोंट रही है. ऑनलाइन कम्यूनिटी प्लेटफॉर्म ‘लोकलसर्कल्स’ के सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 28 फीसदी प्रतिभागियों ने बताया कि उनके परिवार, दोस्तों, पड़ोसियों या सहकर्मियों में कम से कम चार ऐसे व्यक्ति शामिल हैं, जो संभावित तौर पर प्रदूषण जनित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं.
इन बीमारियों से जूझ रहे लोग
प्रतिभागियों के अनुसार, उनके जानने वाले लोग जिन स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनमें दमा, ‘क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज’, फेफड़ों को क्षति, हृदयघात, स्ट्रोक और संज्ञानात्मक गिरावट शामिल है और यह लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने का नतीजा है.
498 तक पहुंचा AQI
राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को एक्यूआई 498 पर पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है. दिल्ली के 38 मौसम निगरानी केंद्रों पर वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई, जबकि दो केंद्रों पर यह ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रही. जहांगीरपुरी में एक्यूआई 498 दर्ज किया गया, जो सभी 40 केंद्रों में सबसे खराब वायु गुणवत्ता थी.
रविवार को इतना रहा AQI
दिल्ली में रविवार को एक्यूआई 461 तक पहुंच गया था, जो इस सर्दी में शहर का सबसे प्रदूषित दिन और दिसंबर में वायु गुणवत्ता के मामले में दूसरा सबसे खराब दिन रहा, क्योंकि हवाओं की मद्धिम गति और कम तापमान के कारण प्रदूषक सतह के करीब जमा रहे. सर्वेक्षण के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के बड़े हिस्से में वायु गुणवत्ता अक्टूबर के अंत से ही ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणियों में बनी हुई है.
चिकित्सा खर्चों ने भी बढ़ाई चिंता
सर्वेक्षण में चिकित्सा खर्चों को लेकर बढ़ती चिंता भी सामने आई. 73 फीसदी प्रतिभागी इस बात को लेकर चिंतित दिखे कि अगर वे लगातार उच्च प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं, तो अपने और परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले खर्च को वहन कर पाएंगे या नहीं.
आठ फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि वे प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर को छोड़ने पर विचार कर रहे हैं. अधिकांश लोगों ने कहा कि वे काम, पारिवारिक जिम्मेदारियों और अन्य मजबूरियों के कारण यहीं रहने को मजबूर हैं.
‘सरकारी हितधारकों के साथ साझा करेंगे सर्वे’
सर्वेक्षण में दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद के 34,000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. ‘लोकलसर्कल्स’ ने कहा कि वह सर्वेक्षण के नतीजों को सरकारी हितधारकों के साथ साझा करने की योजना बना रहा है. उसने कहा कि वह सरकार से प्रदूषण के स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम उठाने और प्रभावित आबादी के लिए स्वास्थ्य देखभाल सहायता उपायों पर विचार करने का आग्रह करेगा.

