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Sunday, December 14, 2025
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“भारत में डॉक्टरों की भारी कमी: हर 811 लोगों पर सिर्फ 1 डॉक्टर, स्वास्थ्य मंत्री ने बताया समाधान”

बीमारियों और मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने देश में डॉक्टरों की उपलब्धता को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। संसद में पेश किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्तमान समय में हर 811 नागरिकों पर केवल एक डॉक्टर उपलब्ध है। यह आंकड़ा देश में बढ़ती स्वास्थ्य जरूरतों के मुकाबले डॉक्टरों की भारी कमी को उजागर करता है।

राज्यसभा में पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में नड्डा ने बताया कि देश में कुल 13,88,185 एलोपैथिक डॉक्टर और 7,51,768 AYUSH डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं। अगर इनमें से 80% डॉक्टरों के सक्रिय रूप से सेवा में होने का अनुमान लगाया जाए, तो डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:811 बैठता है।

मेडिकल शिक्षा में तेजी से बढ़ोतरी
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल शिक्षा का दायरा काफी बढ़ा है। वर्ष 2014 में जहां 387 मेडिकल कॉलेज थे, वहीं आज इनकी संख्या बढ़कर 818 हो गई है। एमबीबीएस सीटें भी 51,348 से बढ़कर 1,28,875, और पीजी सीटें 31,185 से बढ़कर 82,059 तक पहुंच चुकी हैं। यह विस्तार आने वाले वर्षों में डॉक्टरों की उपलब्धता सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

ग्रामीण और दूर-दराज़ क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास
नड्डा ने बताया कि सरकार ने ग्रामीण, पिछड़े और जनजातीय क्षेत्रों में डॉक्टरों की तैनाती सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। केंद्रीय योजना के तहत जिला अस्पतालों से जुड़े 157 नए मेडिकल कॉलेजों में से 137 शुरू हो चुके हैं। इसके अलावा, फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम को एमबीबीएस कोर्स में शामिल किया गया है, जिसके तहत मेडिकल कॉलेज गांवों को गोद लेते हैं और छात्र वहां रहने वाले परिवारों की स्वास्थ्य संबंधी निगरानी करते हैं। इससे टीकाकरण, पोषण, महिलाओं के स्वास्थ्य, मलेरिया-डेंगू नियंत्रण और दवा पालन जैसे मामलों में नियमित फॉलो-अप होता है।

पीजी डॉक्टरों की तैनाती और नए नियम
NMC के जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम के तहत पीजी के दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों को जिला अस्पतालों में तैनात किया जा रहा है। साथ ही, दूरदराज के इलाकों में सेवाएं देने वाले डॉक्टरों के लिए हार्ड-एरिया भत्ता और सरकारी आवास जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि NMC के नए नियमों के अनुसार विदेशी डॉक्टरों को प्रशिक्षण, शोध, फेलोशिप, वॉलंटरी सेवा और सुपर-स्पेशियलिटी कार्यक्रम जैसे विशेष मामलों में भारत में अस्थायी रूप से काम करने की अनुमति दी जाएगी।

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