
गुलामी उन्मूलन दिवस के मौके पर सामने आई ताजा रिपोर्ट ने भारत में बंधुआ मजदूरी की गंभीर हकीकत उजागर कर दी है। राष्ट्रीय बंधुआ मजदूरी उन्मूलन समिति (NCCBL) की जांच में पता चला कि कई राज्यों के गांवों, ईंट-भट्ठों, खेतों और निर्माण स्थलों पर आज भी लोग कर्ज चुकाने के नाम पर वर्षों तक काम करने को मजबूर हैं। जिन इलाकों में गरीबी और बेरोजगारी ज्यादा है, वहां इस समस्या की स्थिति और भी बदतर है। कानून के मुताबिक बंधुआ मजदूरी पूरी तरह प्रतिबंधित है और ऐसे मामलों में पीड़ितों को तुरंत मुक्त कर मुआवजा देने का प्रावधान है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल उलट दिखाई देती है। कई मजदूर अधिकारों की जानकारी के अभाव में दोबारा कर्ज के जाल में फंस जाते हैं और ज्यादातर मामले रिपोर्ट तक नहीं हो पाते।

