
इस वर्ष त्रिपुरा भैरवी जयंती 4 दिसंबर 2025 को मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाएगी। मां दुर्गा की दस महाविद्याओं में पांचवीं महाविद्या के रूप में पूजित मां त्रिपुरा भैरवी की आराधना से शत्रुओं पर विजय, करियर में उन्नति और जीवन की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर सुबह 8:37 बजे शुरू होकर 5 दिसंबर सुबह 4:43 बजे समाप्त होगी। चंद्रदोय नियम के अनुसार व्रत और पूजा 4 दिसंबर को ही की जाएगी।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त 5:10 से 6:04 बजे तक स्नान-पूजन के लिए शुभ रहेगा, जबकि अभिजीत मुहूर्त 11:50 से 12:32 बजे तक है। रात में निशितकाल पूजा का समय 11:45 से 12:39 बजे तक रहेगा, जिसे तंत्र-साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस जयंती पर रवि योग, शिव योग और सिद्ध योग तीन शुभ योग बन रहे हैं—रवि योग सुबह 6:59 से दोपहर 2:45 तक, शिव योग दोपहर 12:34 तक और उसके बाद सिद्ध योग का प्रभाव रहेगा। कृत्तिका नक्षत्र दोपहर 2:45 बजे तक रहेगा, जिसके बाद रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ होगा।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब महाकाली ने कुछ समय के लिए एकांत साधना हेतु कैलाश छोड़ दिया, तो शिवजी ने नारद मुनि को उनकी खोज के लिए भेजा। नारद के माध्यम से विवाह प्रस्ताव रखे जाने पर देवी काली क्रोधित हुईं और उसी क्षण उनके तेजस्वी स्वरूप से देवी त्रिपुरा भैरवी का प्राकट्य हुआ। तंत्र शास्त्र में उन्हें मां काली का उग्र और अत्यंत शक्तिशाली रूप माना गया है।

