
महाराष्ट्र की राजनीति इस समय तेज़ी से बदल रही है। शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी गठबंधन में रहते हुए भी एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी दिखाई दे रही हैं। स्थानीय निकाय चुनावों में दोनों पार्टियों के बीच वर्चस्व की जंग खुले तौर पर सामने आ चुकी है। कई जिलों में शिवसेना के कार्यकर्ता बीजेपी का दामन थाम रहे हैं, जिससे तनाव और बढ़ गया है।
स्थानीय चुनावों के बीच दोनों दलों की खींचतान अब सार्वजनिक हो गई है। बीजेपी ने कई जिलों में शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं को अपने संगठन में शामिल करना शुरू किया, जिसके चलते दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतार रहे हैं। डहाणू नगरपरिषद के अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला सीधे बीजेपी बनाम शिंदे-शिवसेना के बीच है।
कल्याण-डोंबिवली जैसे शिंदे गुट के प्रभाव वाले इलाकों में भी बीजेपी ने कई पदाधिकारी अपने पक्ष में खींच लिए, जिस पर सांसद श्रीकांत शिंदे और अन्य नेताओं ने नाराज़गी जताई। इसी बीच डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र चव्हाण के खिलाफ शिकायत भी की थी, लेकिन मतभेद कम नहीं हुए।
अंबरनाथ और संभाजीनगर में शिंदे गुट के तीन बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो गए—जिनमें ज्वैलर्स एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट रूपसिंह धाल और शिवसेना के पूर्व प्रत्याशी आनंदा ढोके शामिल हैं। महिला विंग की जिला प्रमुख शिल्पारानी वाडकर भी बीजेपी में चली गईं।
पालघर में भी दोनों दलों के बीच सीधी भिड़ंत दिख रही है, जहां शिंदे-शिवसेना को इस बार एनसीपी के दोनों गुटों सहित महायुती के कुछ अन्य दलों का समर्थन भी मिल रहा है। इसी माहौल में डहाणू की सभा में शिंदे ने बीजेपी पर “अहंकार” और “एकाधिकार” का आरोप लगाया, जिस पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी का भरोसा राम में है और “लंका जलाने का काम हमारा भरत करेगा।”

