
जुबीन गर्ग की जन्म जयंती पर उनके प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए याद कर रहे हैं। वे उन चुनिंदा गायकों में से रहे, जिन्होंने 40 से अधिक भाषाओं में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा और संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया। बॉलीवुड से लेकर असमिया, बंगाली, उड़िया, तमिल और अन्य कई भाषाओं में उनके गीतों ने संगीत की दुनिया को नई दिशा दी। उनकी मधुर, भावपूर्ण और विशिष्ट आवाज़ आज भी श्रोताओं के दिल में गूंजती है।
संगीत की प्रारंभिक सीख मिली मां से
18 नवंबर 1972 को मेघालय के तुरा में असमिया ब्राह्मण परिवार में जन्मे जुबीन का नाम मशहूर संगीतकार जुबिन मेहता से प्रेरित होकर रखा गया। बचपन से ही उनके भीतर संगीत के प्रति गहरा झुकाव दिखने लगा था। उनके पिता मोहन बोरठाकुर मजिस्ट्रेट थे, जबकि मां इली बोरठाकुर स्वयं एक गायिका थीं। संगीत की पहली तालीम उन्हें अपनी मां से मिली, जिन्होंने न सिर्फ उन्हें तबला सिखाया बल्कि सुरों की नींव भी मजबूत की। मात्र तीन वर्ष की उम्र में ही उन्होंने गाना शुरू कर दिया था।
कॉलेज छोड़ा, संगीत को जीवन का लक्ष्य बनाया
युवावस्था में उन्होंने पढ़ाई बीच में छोड़ दी और पूरी तरह संगीत की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया। इसी दौरान उनका पहला असमिया एल्बम ‘अनामिका’ लॉन्च हुआ। साल 1993 में ‘तुमी जुनु परिबा हुन’ और ‘तुमी जुनाकी हुबाख’ जैसे गीतों ने उन्हें असमिया संगीत में लोकप्रियता दिलाई। इसके बाद ‘जापुनोर जुर’, ‘जुनाकी मोन’, ‘माया’ और ‘आशा’ जैसे एल्बमों ने उनकी पहचान और मजबूत की।
कई भाषाओं में सुरों की गूंज
हिंदी संगीत जगत के साथ-साथ बंगाली संगीत में भी उन्होंने अपनी अलग छाप छोड़ी। ‘मोन’, ‘शुधु तुमी’, ‘पिया रे पिया रे’, और ‘चोखेर जोले’ जैसे गीतों ने उन्हें बहुभाषी कलाकारों की सूची में शीर्ष स्थान दिलाया। 40 से भी अधिक भाषाओं में गाने की क्षमता ने उन्हें सीमाओं से परे एक वैश्विक कलाकार बना दिया।
इसी वर्ष दुनिया को कहा अलविदा
जुबीन गर्ग को उनके शानदार योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले। विशेष रूप से फिल्म ‘गैंगस्टर’ में उनके गीत के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का सम्मान मिला। इंडी-पॉप, क्षेत्रीय संगीत और बॉलीवुड—हर क्षेत्र में उन्होंने अपनी प्रतिभा से अलग पहचान बनाई।
दुर्भाग्य से, 19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान हुए हादसे में उनका निधन हो गया। यह बताया गया कि वे डूब गए थे, हालांकि घटना की जांच एसआईटी द्वारा अभी भी जारी है।

