
Ashutosh Rana Birthday Special:
फिल्मों में अपनी खतरनाक आंखों, डरावनी हंसी और सिहरन पैदा करने वाली आवाज़ से दर्शकों के दिलों में डर बिठाने वाले आशुतोष राणा असल जिंदगी में बिल्कुल उलट हैं — शांत, विनम्र और आध्यात्मिक। ‘दुश्मन’ और ‘संघर्ष’ जैसी फिल्मों में उन्होंने विलेन के किरदारों को ऐसी गहराई दी कि वे हिंदी सिनेमा के सबसे यादगार खलनायकों में शुमार हो गए। लेकिन पर्दे के पीछे यह अभिनेता अध्यात्म, सादगी और आत्मचिंतन से भरा एक अलग ही व्यक्तित्व है।
10 नवंबर 1967 को मध्य प्रदेश के गाडरवारा में जन्मे आशुतोष राणा बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ थे। शुरुआत में उनका सपना राजनीति में जाने का था। कॉलेज के दिनों में वे छात्र राजनीति से जुड़े रहे, लेकिन इसी दौरान थिएटर से परिचय हुआ और धीरे-धीरे अभिनय उनकी ज़िंदगी का मकसद बन गया। उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) से एक्टिंग की ट्रेनिंग ली, जिसने उनके करियर की मजबूत नींव रखी।
टीवी से शुरू हुआ सफर, फिल्मों तक पहुंची पहचान
आशुतोष राणा ने 1995 में टीवी सीरियल स्वाभिमान से अपना करियर शुरू किया। इसके बाद वे फर्ज, साजिश, वारिस और काली–एक अग्निपरीक्षा जैसे धारावाहिकों में नज़र आए। मेहनत और समर्पण के दम पर उन्होंने जल्द ही फिल्मों में अपनी अलग पहचान बनाई।
‘दुश्मन’ और ‘संघर्ष’ से मिला खौफ का चेहरा
1998 में आई तनुजा चंद्रा की फिल्म दुश्मन में उनके किरदार गोकुल पंडित ने उन्हें रातोंरात चर्चा में ला दिया। यह भूमिका इतनी प्रभावशाली थी कि दर्शक थिएटर से निकलने के बाद भी उस चेहरे को भूल नहीं पाए। अगले साल संघर्ष में लज्जाशंकर पांडे का किरदार निभाकर उन्होंने सिनेमा में विलेन की परिभाषा ही बदल दी। इन दोनों फिल्मों के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट विलेन से सम्मानित किया गया।
आध्यात्मिक जीवन और शांत स्वभाव
पर्दे पर डर का चेहरा बनने वाले आशुतोष राणा असल जीवन में गहरी आध्यात्मिकता से जुड़े हैं। वे नियमित ध्यान करते हैं और महादेव के भक्त हैं। उनका मानना है कि एक सच्चा कलाकार तभी उत्कृष्ट अभिनय कर सकता है, जब वह भीतर से शांत और स्थिर हो।
बहुभाषी सिनेमा और लेखन से भी जुड़ाव
आशुतोष राणा ने हिंदी के साथ-साथ तमिल, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में भी दमदार भूमिकाएं निभाईं। उन्होंने राज, हासिल, आवरापन, मुल्क, सोनचिरैया और पठान जैसी फिल्मों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। अब वे विक्की कौशल की फिल्म छावा में मराठा योद्धा सरसेनापति हम्बीरराव मोहिते की भूमिका निभाते नजर आएंगे।
सिर्फ अभिनेता ही नहीं, वे एक लेखक और विचारक भी हैं। उनकी लिखी किताबें ‘मौन मुस्कान की मार’ और ‘रामराज’ जीवन दर्शन और समाज पर गहरी सोच को सहज शब्दों में व्यक्त करती हैं।
अपने शानदार अभिनय के लिए आशुतोष राणा को फिल्मफेयर, स्क्रीन अवॉर्ड और जी सिने अवॉर्ड सहित कई सम्मान मिले हैं। 2021 में उन्हें फिल्म पगलैट में पिता के किरदार के लिए फिल्मफेयर ओटीटी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।

