Delhi News:दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में बढ़ते साइबर अपराध और ऑनलाइन ठगी के मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने यह बताया कि ऐसे अपराध समाज के लिए खतरनाक हैं और इसलिए आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की जाती है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर निवेशकों को ठगने के दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस अजय दिगपॉल ने याचिका खारिज करने का फैसला सुनाते हुए देशभर में बढ़ रहे साइबर क्राइम पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि साइबर अपराध और ऑनलाइन फ्रॉड में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और इस तरह के मामलों में ढील देना समाज के लिए खतरनाक हो सकता है।
दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट को कई शिकायतें मिली थीं कि कुछ लोगों ने व्हाट्सऐप और टेलीग्राम ग्रुप बनाकर लोगों को ऑनलाइन ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए उकसाया. लोगों से लाखों रुपये लेने के बाद ठगों ने उनके अकाउंट बंद कर दिए और गायब हो गए. पुलिस जांच में पता चला कि आर.एस. ट्रेडिंग नाम से बनाए गए फर्जी बैंक खातों के जरिए ठगी की गई.
जांच में कई लोगों के नाम सामने आए, जिनमें रिंकू सिंह, मुनिश शर्मा, गौरव कुमार, राम कुमार रमन और परमजीत खरब शामिल हैं। आरोप है कि इन लोगों ने फर्जी पहचान पत्र बनवाकर कई बैंक खाते खोले और उन्हें विदेश में बैठे लोगों को ठगी के लिए बेच दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते समय कहा कि जांच में अब तक मिले सबूत साफ दिखाते हैं कि आरोपी एक संगठित साइबर ठगी गिरोह का हिस्सा हैं। इसलिए इस समय उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने साइबर अपराध पर सख्त कार्रवाई की दी नसीहत
कोर्ट ने यह भी कहा कि साइबर अपराध तकनीकी रूप से जटिल होते हैं और इन पर सख्त कार्रवाई आवश्यक है ताकि समाज में डर बना रहे कि कोई व्यक्ति इस तरह की ठगी करने की हिम्मत न करे।

