
Som Pradosh Vrat 2025: पूजा विधि, मंत्र और आरती
इस साल सोमवार, 3 नवंबर 2025 को कार्तिक माह में सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इसे शिवजी के सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है। प्रदोष व्रत के दिन कई शुभ नक्षत्र योग बनते हैं और संध्या पूजा का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को मानसिक शांति के साथ-साथ शारीरिक और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
- प्रदोष व्रत तिथि की शुरुआत: 3 नवंबर, 2025, सुबह 5:07 बजे
- प्रदोष व्रत तिथि की समाप्ति: 4 नवंबर, 2025, सुबह 2:05 बजे
- पूजा के लिए शुभ मुहूर्त: शाम 5 बजे से 8 बजे तक
- पूजा की कुल अवधि: 3 घंटे
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि
सोम प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। शाम को घर या मंदिर के सामने साफ जगह पर गोधूली बेला में दीपक जलाएं। उसके बाद शिवलिंग का अभिषेक करें और पूरा परिवार विधिवत पूजा में शामिल हो। शिवलिंग पर कच्चा दूध, गंगाजल, बेलपत्र, सफेद चंदन, कनेर का फूल और अक्षत अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक जलाकर आरती करें और 108 बार ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। अंत में शिवजी से आशीर्वाद मांगते हुए अपने पापों के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
सोम प्रदोष व्रत में पूजा सामग्री
घी, दूध, लौंग, फूल, रोली, कच्चा दूध, कपूर, सुपारी, जनेऊ, कलावा, धूपबत्ती, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शहद, गंगाजल, काला तिल, हरी मूंग दाल और शिवजी की आरती सामग्री।
सोम प्रदोष व्रत की आरती मंत्र
- ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
- ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
- एकानन चतुरानन, पंचानन राजे, हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे ॥
- दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज अति सोहे, त्रिगुण रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे ॥
- अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी, चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥
- श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे, सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे ॥
- कर के मध्य कमंडल, चक्र त्रिशूलधारी, सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी ॥
- ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका, प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका ॥
- त्रिगुणस्वामी जी की आरती, जो कोइ नर गावे, कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे ॥

