बिहार चुनाव के लिए महागठबंधन ने जो घोषणा पत्र जारी किया है, उसके माध्यम से अति पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश की गई है। सामाजिक सुधार और वंचित न्याय का उल्लेख करते हुए, बड़े ऐलान किए गए हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, भाकपा माले और वीआईपी के महागठबंधन ने अति पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश की है। महागठबंधन ने वादा किया है कि अगर सरकार आई तो अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम पारित किया जाएगा.
यहां पढ़ें महागठबंधन के वादों की लिस्ट
आबादी के अनुपात में आरक्षण की 50% की सीमा को बढ़ाने हेतु, विधान मंडल पारित कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा.
2. अतिपिछड़ा वर्ग के लिए पंचायत तथा नगर निकाय में वर्तमान 20% आरक्षण को बढ़ाकर 30% किया जाएगा. अनुसूचित जाति (SC) के लिए यह सीमा 16% से बढ़ाकर 20% की जाएगी, और अनुसूचित जनजाति (ST) के आरक्षण में भी आनुपातिक बढ़ोतरी सुनिश्चित की जाएगी.
3. UPA सरकार द्वारा पारित ‘शिक्षा अधिकार अधिनियम’ (2010) के तहत निजी विद्यालयों में नामांकन हेतु आरक्षित सीटों का आधा हिस्सा अतिपिछड़ा, पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और जन-जाति के बच्चों हेतु निर्धारित किया जाएगा.
4. संविधान की धारा 15 (5) के अंतर्गत राज्य के सभी निजी शिक्षण संस्थानों के नामांकन हेतु आरक्षण लागू किया जाएगा.
5. सभी दलित और ओबीसी छात्रों को स्कूल ड्रेस, किताबें, छात्रवृत्ति और छात्रावास की सुविधा दी जाएगी.
6. दलित समाज के शोषण के विरुद्ध बने कानूनों को कड़ाई से लागू किया जाएगा. दलितों के उत्पीड़न के मामलों की त्वरित सुनवाई हेतु विशेष
न्यायालयों की स्थापना की जाएगी.
7. ‘अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम’ पारित किया जाएगा.
8. अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति, जन-जाति तथा पिछड़ा वर्ग के सभी आवासीय भूमिहीनों को शहरी क्षेत्रों में 3 डेसिमल तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 5 डेसिमल आवासीय भूमि उपलब्ध करायी जाएगी.
9. दलितों और अतिपिछड़े वर्गों के आर्थिक उत्थान के लिए अनुदान-आधारित स्वरोज़गार योजनाओं का लाभ सुनिश्चित किया जाएगा.
10. महादलित, अतिपिछड़ा और भूमिहीन वर्गों को बंजर या खाली ज़मीन पर सामूहिक खेती के लिए भूमि पट्टा दिया जाएगा.
11. अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति, जन-जाति तथा पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों में बैकलॉग को तत्काल भरा जाएगा, और प्रत्येक वर्ष रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी.
12. नियुक्तियों की चयन प्रक्रिया में “Not Found Suitable” (NFS) जैसी अवधारणा को अवैध घोषित किया जाएगा.
13. आरक्षण के अधिकार की रक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करने हेतु विधानसभा से प्रस्ताव पारित किया जाएगा और केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाएगा.
14. आरक्षण की देखरेख के लिए उच्च अधिकार प्राप्त आरक्षण नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, और जातियों की आरक्षण सूची में कोई भी परिवर्तन केवल विधान मंडल की अनुमति से ही संभव होगा.
15. अतिपिछड़ा वर्ग की सूची में अल्प या अति समावेशन (under- or over-inclusion) से संबंधित सभी मामलों को एक कमेटी बनाकर निष्पादित किया जाएगा.
16. पसमांदा मुसलमानों को हर प्रकार के न्याय के दायरे में लाकर उनकी आर्थिक और शैक्षिक उन्नति के लिए ठोस कदम उठाए जाएँगे.
17. 25 करोड़ रूपयों तक के सरकारी ठेकों/आपूर्ति कार्यों में अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जाति के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा.
18. निषाद, पान, धानुक तथा अन्य वंचित जातियों के लिए आरक्षण-न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस पहल की जाएगी.
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19. मछुआरा परिवारों को ‘लीन पीरियड’ (प्रतिबंधित अवधि, तीन माह) के दौरान प्रति परिवार ₹5,000 प्रतिमाह सहायता दी जाएगी.
20. मत्स्यपालन बीमा योजना और बाज़ार उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी. प्रत्येक प्रखंड में मछली बाज़ार, प्रशिक्षण केंद्र और अनुदान योजनाएँ शुरु की जाएँगी.
21. सुसंगत जलाशय नीति के अंतर्गत नदियों और तालाबों का पुनर्जीवन किया जाएगा, और आवंटन में परंपरागत मछुआरों को प्राथमिकता दी जाएगी.
22. वनाधिकार कानून, 2006 के तहत वन भूमि और उसके प्रबंधन का अधिकार तथा पेसा कानून के तहत नियम बनाकर आदिवासी समाज को प्रखंड और पंचायत स्तर पर स्वशासन का अधिकार दिया जाएगा.
23. आदिवासी समाज और पर्यावरण को क्षति पहुँचाने वाले वन (संरक्षण) संशोधन कानून, 2023 को तत्काल वापस लेने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाएगा.
24. आदिवासियों के विस्थापन और टाइगर प्रोजेक्ट के नाम पर उनके अधिकारों के हनन पर रोक लगाई जाएगी.

