
अमेरिका में बढ़ी भारतीय आईटी कंपनियों की मुश्किलें, लगातार दर्ज हो रहे कानूनी मुकदमे
भारतीय आईटी कंपनियों के लिए अमेरिका लंबे समय से सबसे बड़ा और अहम बाजार रहा है। लेकिन अब वहीं पर उनके लिए कानूनी चुनौतियाँ खड़ी हो रही हैं। हाल के महीनों में कई भारतीय आईटी कंपनियों पर अमेरिका में मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिससे इंडस्ट्री में चिंता का माहौल है।
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय आईटी कंपनियों ने खुद को पारंपरिक आउटसोर्सिंग सेवाओं से आगे बढ़ाते हुए नई तकनीकों, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और एआई आधारित प्रोडक्ट्स पर ध्यान केंद्रित किया है। इस बदलाव से जहां उनके ग्लोबल प्रभाव में इजाफा हुआ है, वहीं अमेरिका जैसे देशों में कड़े कानूनी नियमों का सामना भी करना पड़ रहा है।
अमेरिका की सख्त कानूनी व्यवस्था बनी चुनौती
अमेरिका में बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) को लेकर कड़े नियम हैं। यदि किसी कंपनी पर सॉफ्टवेयर, कोड या पेटेंट के दुरुपयोग का आरोप लगता है, तो कानूनी कार्रवाई तेज़ी से होती है, जिसमें भारी-भरकम जुर्माना भी शामिल हो सकता है।
भारत की कंपनियाँ अब खुद के इनोवेशन पर काम कर रही हैं, ऐसे में कानूनी जोखिम और भी बढ़ गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टेक्नोलॉजी में निवेश के साथ-साथ अब कंपनियों को कानून की बारीकियों को समझना और लागू करना भी जरूरी हो गया है।
हेक्सावेयर केस बना चेतावनी की घंटी
हाल ही में हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज पर अमेरिका की दो कंपनियों — Netskope और Updraft — ने 500 मिलियन डॉलर (लगभग ₹4,000 करोड़) का मुकदमा ठोका है। आरोप है कि हेक्सावेयर ने उनकी टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर का अनाधिकृत उपयोग किया। यह मुकदमा सिर्फ एक कानूनी विवाद नहीं, बल्कि एक बड़ी कारोबारी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जहां अमेरिकी कंपनियाँ भारतीय आईटी कंपनियों के बढ़ते प्रभाव को संभावित खतरे के रूप में देख रही हैं।
विशेषज्ञों की सलाह
आईटी क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय कंपनियों को अब हर नए प्रोजेक्ट में स्पष्ट कानूनी समझौते (contracts) पर ध्यान देना चाहिए, विशेष रूप से जब वह नवाचार (innovation) और एआई आधारित समाधान विकसित कर रही हों। इसके साथ ही, कॉपिराइट, पेटेंट और डाटा प्राइवेसी जैसे मसलों पर पूरी कानूनी तैयारी ज़रूरी है, ताकि भविष्य में कानूनी पचड़ों से बचा जा सके।

