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Thursday, November 6, 2025
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रत्नागिरी: गुरुकुल आश्रम में नाबालिग छात्रा से यौन उत्पीड़न, कोकरे महाराज और सहयोगी के खिलाफ POCSO के तहत मामला दर्ज

महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के खेड तालुका स्थित एक वारकरी गुरुकुल आश्रम में नाबालिग छात्रा से यौन उत्पीड़न का गंभीर मामला सामने आया है। धार्मिक शिक्षा के नाम पर संचालित इस संस्थान में छात्रा के साथ छेड़छाड़ और उत्पीड़न की शिकायत के बाद पुलिस ने आश्रम प्रमुख कोकरे महाराज और उनके सहयोगी प्रतेश कदम के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।

FIR में गंभीर धाराएं शामिल

खेड पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के आधार पर कोकरे महाराज और उनके सहयोगी पर POCSO एक्ट की धारा 12 और 17 के साथ-साथ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 74, 351(3) और 85 के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने कोकरे महाराज को गिरफ्तार कर दो दिन की हिरासत में भेज दिया है, जबकि मामले की जांच तेजी से जारी है।

जून से चल रहा था उत्पीड़न, छात्रा ने की शिकायत

यह मामला खेड तालुका के लोटे इलाके का है। पीड़िता ने जून महीने से लगातार हो रहे यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गिरफ्तारी की। अब पुलिस अन्य छात्राओं से भी पूछताछ कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या अन्य पीड़ित भी इस शोषण का शिकार हुए हैं।

जिले में फैली सनसनी, संस्थानों की विश्वसनीयता पर सवाल

इस घटना के सामने आने के बाद पूरे रत्नागिरी जिले में हड़कंप मच गया है। धार्मिक आस्था और शिक्षा के नाम पर चल रहे ऐसे संस्थानों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय समुदाय में आक्रोश और चिंता का माहौल है।

राजनीतिक बयानबाज़ी भी शुरू

शिवसेना (UBT) के विधायक भास्कर जाधव ने इस मामले को लेकर तीखा बयान देते हुए कहा कि कोकरे महाराज का संबंध भाजपा से है। उन्होंने आरोप लगाया कि “जिन नेताओं ने उनकी गोशाला में मंच साझा किया, अब उन्हें जनता के सामने जवाब देना होगा। कोकरे ने कई अन्य छात्राओं का भी शोषण किया है। हम जल्द ही उनके असली चेहरे को उजागर करेंगे।”

जांच जारी, और भी खुलासों की आशंका

फिलहाल कोकरे महाराज पुलिस कस्टडी में हैं और मामले की जांच जारी है। पुलिस इस बात की पड़ताल कर रही है कि कहीं यह एकमात्र मामला तो नहीं और क्या गुरुकुल में अन्य छात्राएं भी उत्पीड़न का शिकार हुई हैं।

मूलभूत सवाल बना हुआ है

यह मामला एक बार फिर समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि धार्मिक शिक्षा और आध्यात्मिकता की आड़ में संचालित गुरुकुलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता बरती जा रही है। क्या ऐसे संस्थानों पर निगरानी और नियंत्रण की ज़रूरत अब और अधिक नहीं बढ़ गई है?

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