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Tuesday, October 14, 2025
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4 बार के विधायक, लेकिन छोटा सा घर… कौन हैं महबूब आलम, जिन्हें CPI माले ने फिर दिया बलरामपुर से टिकट

बिहार विधानसभा चुनाव के बारे में, CPI (ML) ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया है। इस बार भी, पार्टी ने बलरामपुर सीट से महबूब आलम को टिकट दिया है।हर बार की तरह इस बार भी पार्टी ने बलरामपुर सीट से महबूब आलम की टिकट दी है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दृष्टि से वामपंथी पार्टी CPI(ML) (Liberation) ने महबूब आलम को बलरामपुर सीट से लड़ने के लिए चुना है। उन्हें उसी सीट से टिकट मिला है, जहां से वे वर्तमान विधायक भी हैं। महबूब आलम CPI(ML) से जुड़े हुए अनुभवी नेता हैं और वे बारकट से भी चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने बरसोई सीट से भी प्रतिस्पर्धा की थी और उनके सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र में गहन ज्ञान है। आलम CPI(ML) की केंद्रीय समिति और बिहार राज्य समिति के सदस्य भी हैं।

कैसे बनी पहचान?

महबूब आलम की शिक्षा क्लास 12 तक ही हुई है और उनका परिवार कृषि का काम करता है. महबूब आलम की पहचान मजबूत राजनीतिक कर्म और लोक समर्थन से बनी है. आलम सालों से अपने क्षेत्र में काम करते रहे हैं. जमीन से जुड़े मुद्दों, किसानों और मजदूरों की समस्याओं को उठाते रहे हैं. इतने समय से विधायक रहने के बावजूद वो छोटे से ही घर में रहते हैं.  

महबूब आलम ने पार्टी के भीतर ही काम किया है और पार्टी की विचारधारा से जुड़े रहे हैं. उनके चुनावी इतिहास की बात करें तो साल 2020 में उन्होंने बलरामपुर सीट पर 1,04,489 वोट हासिल किए और विरोधी को करीब 53,597 मतों से हराया था. यह मार्जिन पूरे चुनाव में सबसे ज्यादा रहा. बलरामपुर मुस्लिम बहुल सीट है और यहां 60 फीसदी से ज्यादा मतदाता मुसलमान हैं.

2020 में माले ने इतनी सीटों पर दर्ज कराई जीत 

रिपोर्ट के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में महागठबंधन में वाम दलों को 29 सीटें मिली थी. इसमें भाकपा माले ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें उसके 12 उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहे. इस बार भाकपा माले यानी CPI(ML) 25 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा करना शुरू कर दिया है. बलरामपुर से महबूब आलम को दोबारा सीट देकर CPI(ML) ने यह संकेत दिया है कि वे पार्टी के पुराने और भरोसेमंद चेहरे पर भरोसा करते हैं.

बंगाल से सटे होने की वजह से बलरामपुर सीट भाकपा के लिए अहम सीट है. राजनीतिक रूप से पार्टी के लिए यह सीट इसलिए अहम है, क्योंकि यह वामपंथी राजनीति का एक मजबूत गढ़ रहा है और यहां के नतीजे राज्य की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. साथ ही महबूब आलम 2000 से अब तक इस सीट से कई बार जीत चुके हैं और जनता के बीच उनकी गहरी पकड़ मानी जाती है.

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