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Sunday, November 16, 2025
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बिहार 2025: त्रिवेणीगंज में JDU की पकड़ मजबूत या चुनौती सामने?

बिहार विधानसभा चुनाव: 2020 में त्रिवेणीगंज में 2,86,147 पंजीकृत मतदाता थे। इनमें से 18.53 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 14.90 प्रतिशत मुस्लिम और 21.70 प्रतिशत यादव समुदाय के थे।

त्रिवेणीगंज विधानसभा का राजनीतिक महत्व और सामाजिक विविधता इसे बिहार की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट बनाती है. सुपौल जिले के अंतर्गत आने वाली त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है, जो अपनी सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक पहचान के लिए जानी जाती है.

1957 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ था।

त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट पर 1957 में पहली बार चुनाव हुआ था। उस दौरान इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया था। इस सीट को 1962 से 2009 तक सामान्य श्रेणी में रखा गया, लेकिन 2010 से इसे दोबारा आरक्षित घोषित किया गया। 1957 से 1962 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा, लेकिन समय के साथ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी और जनता दल ने भी यहां जीत हासिल की। 2000 में इस सीट पर आरजेडी का कब्जा रहा, जबकि 2005 के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी ने जीत हासिल की। पहली बार 2009 के उपचुनाव में यहां जेडीयू का खाता खुला, तब से यह सीट जेडीयू के पास है। 2010 में जेडीयू की अमला देवी और 2015-2020 में वीणा भारती ने जीत दर्ज की।

2020 के विधानसभा चुनाव में वीणा भारती ने आरजेडी के संतोष कुमार को 3,031 वोटों से हराया था। उनकी जीत का फायदा पार्टी को लोकसभा चुनाव 2024 में भी मिला और यहां को बड़ी बढ़त मिली थी। चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 के विधानसभा चुनाव में त्रिवेणीगंज में 2,86,147 रजिस्टर्ड मतदाता थे, जिनमें 18.53 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 14.90 प्रतिशत मुस्लिम और 21.70 प्रतिशत यादव समुदाय के थे। 2024 तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,09,402 हो गई है।

यह क्षेत्र बाढ़ की समस्या से लड़ रहा है।

त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट के आर्थिक और सामाजिक पहलू की दृष्टि से यह क्षेत्र कोसी नदी के किनारे स्थित है और हर साल यहाँ बाढ़ की समस्या से जूझना पड़ता है। यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से धान, मक्का और जूट की खेती पर आधारित है, लेकिन बाढ़ का मुख्य कारण भी यही है।
युवाओं का पलायन एक बड़ी समस्या है जिसका कारण रोजगार के सीमित अवसर और कृषि आधारित उद्योगों की कमी है। सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मौलिक सुविधाएं भी यहाँ अपर्याप्त हैं। क्षेत्र की चुनौतियों के बावजूद, यह सीट बिहार की राजनीति में विशेष महत्व रखती है।

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