
संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत, योगी सरकार ने लागू किया नया सैलरी चार्ट
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए एक बड़ी घोषणा की है। अब इन्हें स्थायी सरकारी कर्मचारियों की तरह वेतनमान और पेंशन का लाभ मिलेगा। हाल ही में सरकार ने “यूपी आउटसोर्स एम्प्लॉइज सैलरी चार्ट” जारी किया है, जिससे लाखों संविदा कर्मचारियों के भविष्य को नई दिशा मिलेगी।
चार श्रेणियों में बंटा वेतनमान, न्यूनतम वेतन तय
नए वेतन चार्ट के तहत संविदा कर्मचारियों को उनकी योग्यता, कार्यभार और अनुभव के आधार पर चार श्रेणियों में बांटा गया है:
- प्रथम श्रेणी: ₹40,000 से ₹45,000 तक वेतन (प्रशासनिक/तकनीकी पदों पर तैनात उच्च योग्यताधारी कर्मचारी)
- द्वितीय श्रेणी: न्यूनतम ₹25,000
- तृतीय श्रेणी: न्यूनतम ₹22,000
- चतुर्थ श्रेणी: न्यूनतम ₹20,000 (सफाईकर्मी, चपरासी, सहायक कर्मचारी आदि)
इससे पहले चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को किसी मानक वेतन के बिना काम करना पड़ता था। अब सभी को तयशुदा वेतन मिलेगा, जिससे वेतन में पारदर्शिता और स्थिरता आएगी।
मनमाने वेतन का दौर खत्म, मिलेगा पारदर्शी भुगता
सरकार की नई व्यवस्था के तहत अब कोई भी संविदा कर्मचारी मनमाने वेतन पर काम नहीं करेगा। सभी को तयशुदा वेतन मिलेगा, जो सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। इससे वेतन वितरण में देरी की समस्या खत्म होगी और भ्रष्टाचार या बिचौलियों की भूमिका भी समाप्त हो जाएगी।
पेंशन योजना: 10 साल की सेवा पर मिलेगा लाभ
योगी सरकार ने संविदा कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में भी अहम कदम उठाया है। अब जो कर्मचारी लगातार 10 वर्ष सेवा देंगे, उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन का लाभ मिलेगा। यह सुविधा पहले केवल स्थायी कर्मचारियों तक सीमित थी।
- पेंशन राशि: ₹1,000 से ₹7,500 तक
- यह राशि पद और सेवा अवधि के आधार पर तय की जाएगी।
वेतन भुगतान की तारीख भी
नई व्यवस्था के अंतर्गत सभी संविदा कर्मचारियों को हर महीने 1 से 4 तारीख के बीच वेतन मिल जाएगा। पहले इन्हें हफ्तों या महीनों तक वेतन के लिए इंतजार करना पड़ता था, जिससे आर्थिक संकट और तनाव बढ़ता था। अब समय पर वेतन मिलने से जीवनशैली में सुधार और पारिवारिक संतुलन बेहतर होगा।
निष्कर्ष
योगी सरकार का यह फैसला न केवल संविदा कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करेगा, बल्कि उन्हें सम्मानजनक और स्थायी करियर का रास्ता भी देगा। यह कदम राज्य में आउटसोर्सिंग व्यवस्था में सुधार लाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।