
गरबा में गैर-हिंदुओं की एंट्री पर बैन को लेकर छिड़ा विवाद, रामदास अठावले ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र में गरबा को लेकर जारी विवाद पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से विश्व हिंदू परिषद (VHP) की आलोचना करते हुए सवाल उठाया कि यह तय करने का अधिकार उन्हें किसने दिया कि गरबा में कौन हिस्सा ले सकता है और कौन नहीं।
अठावले ने कहा कि नवरात्रि जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व को शक और नफरत का मंच बनाना समाज की एकता और समरसता के लिए खतरनाक है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से अपील की कि त्योहार के दौरान किसी भी तरह की जबरदस्ती या धार्मिक भेदभाव को सख्ती से रोका जाए।
VHP की एडवाइजरी से सामाजिक समरसता को खतरा: रामदास अठावले
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) की नवरात्रि 2025 को लेकर जारी एडवाइजरी को देश की सामाजिक समरसता के लिए गंभीर खतरा बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखते हुए कहा कि यह एडवाइजरी केवल आयोजकों को निर्देश देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कट्टरपंथी तत्वों को हिंसा और जबरदस्ती के लिए परोक्ष रूप से प्रोत्साहित करती है।
अठावले ने चेतावनी दी कि यदि इस एडवाइजरी के कारण नवरात्रि के दौरान कहीं भी झगड़े या धार्मिक टकराव होते हैं, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी VHP और उससे जुड़े संगठनों की होगी। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ संगठन और उनके नेता भारत की एकता, विविधता और धार्मिक सहिष्णुता के विरुद्ध काम कर रहे हैं, जबकि नवरात्रि शक्ति की उपासना और आनंद का पर्व है, न कि नफरत फैलाने का अवसर।
संविधान का उल्लंघन न करें, नवरात्रि सबकी है: रामदास अठावले
रामदास अठावले ने नवरात्रि को लेकर विश्व हिंदू परिषद की एडवाइजरी पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ये अनुच्छेद सभी नागरिकों को समानता, भेदभाव से संरक्षण और धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देते हैं। ऐसे में कोई भी संगठन यह तय नहीं कर सकता कि कौन त्योहार मना सकता है और कौन नहीं। उनके अनुसार, गरबा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि संगीत, नृत्य और सामाजिक मेलजोल का एक समावेशी उत्सव है।
अठावले ने सरकार और प्रशासन से अपील की कि आयोजकों को पूर्ण सुरक्षा दी जाए और किसी भी व्यक्ति की पहचान की जबरन जांच या धार्मिक आधार पर भेदभाव जैसी कोशिशों को कानून के तहत सख्ती से रोका जाए। उन्होंने कहा कि नवरात्रि किसी एक धर्म या वर्ग की नहीं, बल्कि सभी की साझी विरासत है। इसमें आस्था का अपमान नहीं, बल्कि सहभागिता और शांति ही सबसे बड़ा धर्म है।
Gen-Z को लेकर अठावले ने खास टिप्पणी करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी समावेशिता, विकास और खुले मंचों की आकांक्षी है—वह डर और विभाजन की राजनीति को नहीं अपनाती।
VHP की अपील के बाद गरबा पर गरमाई सियासत, अठावले के बयान से बढ़ी बहस
रामदास अठावले का यह बयान विश्व हिंदू परिषद (VHP) की उस अपील के बाद सामने आया है, जिसमें संगठन ने कहा था कि गरबा केवल नृत्य का आयोजन नहीं, बल्कि देवी की उपासना और मातृशक्ति की आराधना का पर्व है। VHP ने गरबा आयोजकों से अनुरोध किया था कि वे ऐसे गैर-हिंदुओं को प्रवेश न दें जो मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं रखते। इसके साथ ही आधार कार्ड की जांच, तिलक लगाने और पूजा करवाने जैसे सुझाव भी दिए गए थे।
VHP ने यह भी स्पष्ट किया कि बजरंग दल और संगठन के कार्यकर्ता गरबा कार्यक्रमों पर नजर रखेंगे ताकि धार्मिक भावनाओं के अनुरूप आयोजन सुनिश्चित किया जा सके। अठावले के तीखे बयान के बाद अब महाराष्ट्र में गरबा को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। ऐसे में सबकी निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं कि वह नवरात्रि के दौरान सामाजिक सौहार्द और शांति बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाता है।