
Panchmukhi Hanumat Kavacham:
पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ एक अत्यंत शक्तिशाली आध्यात्मिक साधना मानी जाती है। विशेष रूप से मंगलवार, शनिवार, अमावस्या और चतुर्दशी जैसे तिथियों पर इसका पाठ करने से जीवन में आने वाली शत्रु बाधाओं, भय, और ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।
इस कवच के नियमित जप से न केवल आत्मबल में वृद्धि होती है, बल्कि यह तांत्रिक प्रभावों, नकारात्मक ऊर्जा और मानसिक तनाव को भी दूर करता है। शास्त्रों में वर्णित पंचमुखी हनुमान का स्वरूप ब्रह्मांडीय शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है, जो भक्त की हर दिशा से रक्षा करता है। आइए जानें इस दिव्य कवच का अर्थ, पाठ विधि और इसके अद्भुत लाभ।
पंचमुखी हनुमान कवच का महत्व:
पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ करने का सबसे शुभ समय मंगलवार, शनिवार, अमावस्या, चतुर्दशी, और ग्रहण काल माना जाता है। यह दिव्य कवच मंत्र न केवल शत्रु नाश और भय से मुक्ति देता है, बल्कि तांत्रिक बाधाओं और ग्रह दोषों को भी शांत करने में अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
हनुमान जी को वैसे तो संकटमोचक कहा जाता है, लेकिन जब वे पंचमुखी स्वरूप में प्रकट होते हैं, तो वे सम्पूर्ण ब्रह्मांड के रक्षक बन जाते हैं। इस स्वरूप का ध्यान और कवच पाठ इतना शक्तिशाली है कि यह जीवन से भय, संकट, तांत्रिक प्रभाव, ग्रह पीड़ा, और अकाल मृत्यु जैसे सभी संकटों का नाश करता है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि जो साधक श्रद्धा और नियमपूर्वक इस कवच का पाठ करता है, उसका जीवन भयमुक्त और संरक्षित हो जाता है।
पंचमुखी हनुमान कवच का जिक्र नृसिंह पुराण और कई तांत्रिक ग्रंथों में मिलता है। विशेष उल्लेख है कि इस कवच का प्रकट होना भगवान राम की आज्ञा से हुआ था, जब रावण के वध के समय। एक श्लोक के अनुसार, पंचमुखी हनुमान के ध्यान से सभी शत्रु नष्ट होते हैं, सभी रोग दूर होते हैं और सभी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
पंचमुखी हनुमान कवच मंत्र
श्रीगणेशाय नमः। श्रीरामदूताय नमः।
ॐ अस्य श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचस्य।
ब्रह्मा ऋषिः। गायत्री छन्दः।
पञ्चमुखी श्रीहनुमान देवता।
हं बीजं। हं शक्तिः। हुं कीलकम्।
मम शत्रु संहारार्थे विनियोगः।
पूर्वतस्तु कपिः पातु, दक्षिणे पातु लक्ष्मणः।
पश्चिमे पातु गरुत्मा, उत्तरस्येन्द्रवरदः।
ऊर्ध्वे हयग्रीवो मां पातु, अधो मे पातु भैरवः।
रामदूतः पातु मां सर्वतोऽसि हरिः सदा।
सर्वे किल्बिषसंहारं कुरु मे कपिनायक।
पादौ पातु पवनपुत्रः, जानुनी पातु भीषणः।
ऊरू पातु महावीर्यः, कटी पातु महाबलः।
नाभिं पातु सुग्रीवो, हृदयं पातु रामभृत्।
स्तनौ पातु महाशक्तिः, बाहू पातु महाद्युतिः।
कण्ठं पातु महावीर्यः, मुखं पातु महाबलः।
जिह्वां पातु रामदूतः, दंष्ट्रां पातु महाबलः।
नेत्रे पातु महाप्रज्ञः, श्रोत्रे पातु महाबलः।
नासिकां पातु सुग्रीवः, कर्णौ पातु विभीषणः।
शीर्षं पातु रामदासः, सर्वाङ्गं रघुनायकः।
सर्वदुष्टप्रशमनं सर्वसौख्यप्रदायकम्।
एतत्कवचं पवित्रं त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः।
सर्वशत्रुविनाशं च धान्य-धान्य-समृद्धिदम्।
राजद्वारे, रणमध्ये, श्मशाने पर्वतोपरे।
भीत: पश्यति यं यं तं तं रूपं धरते कपिः।
यः पठेत्प्रयतो नित्यं त्रिसंध्यं श्रद्धयान्वितः।
सप्तजन्मार्जितं पापं तत्क्षणात् विनिवार्यते।
इति श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचं सम्पूर्णम्।
मंत्र का अर्थ:
- पूर्वे कपिमुखं पातु — पूर्व दिशा में हनुमान जी का वानर मुख रक्षा करें।
- दक्षिणे मे महाबलः — दक्षिण दिशा में नरसिंह रूप शत्रुओं का नाश करें।
- पश्चिमे पातु गरुत्मान् — पश्चिम दिशा में गरुड़ मुख सर्प व विष से सुरक्षा करें।
- उत्तरे वराहो हरिः — उत्तर दिशा में वराह मुख परिवार और भूमि की रक्षा करें।
- ऊर्ध्वं हयग्रीवो मां पातु — ऊर्ध्व दिशा में हयग्रीव मुख विद्या और ज्ञान प्रदान करें।
कवच पाठ का श्रेष्ठ समय:
मंगलवार और शनिवार को कवच पाठ करने से शत्रुओं और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। अमावस्या और चतुर्दशी के दिन यह तांत्रिक दोष, नजर दोष और भय दूर करने के लिए विशेष प्रभावशाली माना जाता है। ग्रहण काल में इसका पाठ कालसर्प दोष और पितृदोष निवारण के लिए शुभ होता है। साथ ही, सुबह सूर्योदय के समय इसका पाठ स्वास्थ्य और सफलता के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
कवच जप की विधि:
स्नान करके लाल या गेरुए वस्त्र धारण करें। पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने आसन लगाएं। दीपक जलाएं, धूप और चमेली के तेल से पूजा करें। लाल चंदन, सिंदूर और लाल पुष्प अर्पित करें। रुद्राक्ष माला से 108 बार कवच मंत्र का जप करें। अंत में गुड़ और चने का भोग लगाकर प्रसाद बांटें।
पंचमुखी हनुमान कवच पाठ के लाभ:
- शत्रु पर विजय: राजनीति, न्यायिक मुकदमों और व्यापार में आने वाले विरोधी नष्ट होते हैं।
- भूत-प्रेत और तांत्रिक बाधा से रक्षा: रात के डर और बुरे सपने समाप्त हो जाते हैं।
- धन-समृद्धि: आर्थिक संकट दूर होते हैं और स्थायी सुख-शांति मिलती है।
- स्वास्थ्य लाभ: रोगों में सुधार आता है और मानसिक शांति मिलती है।
- ग्रह दोष निवारण: शनि, राहु, केतु और मंगल के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
- विद्या और करियर में सफलता: विद्यार्थी और नौकरीपेशा लोग अपने क्षेत्र में तरक्की पाते हैं।
आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता:
आज की तेज़-तर्रार जिंदगी में पंचमुखी हनुमान कवच एक शक्तिशाली आध्यात्मिक कवच के रूप में काम करता है। यह विद्यार्थियों को परीक्षा के भय से बचाता है, व्यापारियों को प्रतिस्पर्धा में सफलता दिलाता है, परिवार को नकारात्मक ऊर्जा और नजर दोष से सुरक्षित रखता है, और कार्यस्थल पर शत्रु बाधाओं को कम करता है।