भारतीय सेना की JAG ब्रांच युवाओं को वर्दी पहनकर कानूनी सलाहकार बनने का मौका देती है, जहां वे न्याय और अनुशासन की रक्षा करते हैं.

देश की सेवा करने के विभिन्न तरीके होते हैं। कुछ लोग सीमा पर जाकर दुश्मनों से लड़ते हैं, जबकि कुछ लोग कानूनी मोर्चे पर सेना की गरिमा और अनुशासन की रक्षा करते हैं। भारतीय सेना की जज एडवोकेट जनरल (JAG) ब्रांच भी इसी तरह का मौका प्रदान करती है, जहां उम्मीदवार वर्दी पहनकर देश की सेवा करते हैं, लेकिन उनकी ताकत हथियार नहीं, बल्कि कानून और न्याय होता है.
JAG ऑफिसर कौन होता है?
रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय सेना में JAG ऑफिसर को कानूनी सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया जाता है. ये ऑफिसर सेना से जुड़े कानूनी मामलों पर राय देते हैं, कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं और अनुशासन से जुड़े विवादों का निपटारा करते हैं. एक तरह से कहें तो वे सेना के “कानूनी प्रहरी” होते हैं. उनकी भूमिका बेहद अहम है क्योंकि सेना में नियम और कानून का पालन सुनिश्चित करना उन्हीं की जिम्मेदारी होती है.
योग्यता क्या होनी चाहिए?
अगर आप JAG ऑफिसर बनना चाहते हैं तो आपको LLB यानी कानून की डिग्री होनी चाहिए। इसमें कम से कम 50% अंक होने चाहिए। उम्मीदवार का नाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया में रजिस्टर्ड होना चाहिए। कई बार आवेदन के लिए CLAT PG स्कोर भी मांगा जाता है। उम्र की बात करें तो इस पद के लिए उम्मीदवार की आयु 21 से 27 वर्ष के बीच होनी चाहिए। यानी युवा कानून के छात्र या नए वकील इस क्षेत्र में बेहतरीन करियर बना सकते हैं.
चयन की प्रक्रिया कैसी है?
जेएआर ऑफिसर बनने के लिए किसी लिखित परीक्षा की आवश्यकता नहीं होती. उम्मीदवारों का चयन एसएसबी इंटरव्यू द्वारा किया जाता है। इस इंटरव्यू में उम्मीदवार की पर्सनालिटी, आत्मविश्वास, निर्णय क्षमता और नेतृत्व कौशल की मौलिक जांच की जाती है। इसके बाद, उम्मीदवार का मेडिकल टेस्ट किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह सेना के निर्धारित शारीरिक और मानसिक मानकों पर खरा उतरता है।
सैलरी और सुविधाएं
जाग ऑफिसर बनने के बाद उम्मीदवार को कमीशन्ड ऑफिसर की रैंक दी जाती है। उनका वेतन लेवल 10 के तहत तय होता है, जो लगभग 56,100 रुपये से शुरू होकर 1,77,500 रुपये प्रति माह तक जा सकता है। इसके साथ ही उन्हें सेना में मिलने वाले सभी भत्ते, मेडिकल सुविधाएं और प्रमोशन के अवसर भी दिए जाते हैं।