SBI रिसर्च ने जारी किया कि GST काउंसिल ने अपनी 56वीं बैठक में मौजूदा चार स्तरीय कर दर ढांचे की बजाय 5% और 18% के दो टैक्स स्लैब को मंजूरी दी है।

SBI शोध रिपोर्ट पर GST: अमेरिका के साथ चल रहे ट्रेड टैरिफ टेंशन के बीच GST 2.0 का एलान किया गया है। कहा जा रहा है कि GST दरों में व्यापक बदलाव से घरेलू वस्तुओं और सेवाओं पर कर की दरें कम होंगी। इसके साथ ही, अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति को 0.65% से 0.75% तक कम करने में मदद मिल सकती है। गुरुवार को SBI शोध में कहा गया कि GST काउंसिल की बुधवार को हुई 56वीं बैठक में मौजूदा चार स्तरीय कर दर ढांचे की जगह 5% और 18% के दो टैक्स स्लैब को मंजूरी दी गई है।
क्या होने जा रहा असर?
इसके अलावा, कुछ लक्जरी वस्तुओं और सेवाओं के लिए 40% की विशेष रेट तय की गई है. तंबाकू और संबंधित उत्पादों को छोड़कर नई कर दरें 22 सितंबर से लागू होंगी. एसबीआई रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जिन 453 वस्तुओं के जीएसटी दर में बदलाव किए गए उनमें से 413 वस्तुओं की दरों में कमी देखी गई, जबकि केवल 40 वस्तुओं की दरों में वृद्धि देखी गई. लगभग 295 वस्तुओं पर अब 12% की बजाय 5% या 0 जीएसटी दर लागू हैं.
क्योंकि आवश्यक वस्तुओं (करीब 295 वस्तुओं) की जीएसटी दर 12% से कमकर 5% या फिर 0 हो गई है, इसलिए खाद्य वस्तुओं पर 60% लाभ ग्राहकों को मिलने के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए इस श्रेणी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी वित्त वर्ष 2025-26 में 0.25 से 0.30 प्रतिशत तक कम हो सकती हैं.
क्यों कम हो सकती है महंगाई?
एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी दरों को सेवाओं पर युक्तिसंगत बनाने से खुदरा मुद्रास्फीति में 0.40 से 0.45% की कमी हो सकती है। इससे अन्य वस्तुओं और सेवाओं पर खुदरा मुद्रास्फीति में लाभ होगा, जिससे ग्राहकों को 50% तक कमी मिल सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026-27 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति में 0.65 से 0.75% तक कमी आ सकती है। जीएसटी काउंसिल की दिशा में दरों को युक्तिसंगत बनाने से औसत जीएसटी दर सितंबर 2019 में 11.6% से 9.5% तक घट सकती है।