डिजिटल अरेस्ट: नवी मुंबई के कोपरखैराने इलाके में रहने वाली एक 70 वर्षीय महिला डिजिटल अरेस्ट स्कैम का शिकार होकर 21 लाख रुपये गंवा बैठीं।

नवी मुंबई के कोपरखैराने इलाके में रहने वाली एक 70 वर्षीय महिला डिजिटल अरेस्ट स्कैम का शिकार होकर 21 लाख रुपये गंवा बैठीं. साइबर ठग ने खुद को महाराष्ट्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी विश्वालस नांगरे पाटिल बताकर महिला को जाल में फंसा लिया. जबकि वास्तव में नांगरे पाटिल अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (भ्रष्टाचार निरोधक विभाग) के पद पर हैं न कि पुलिस कमिश्नर.
यह घटना 5 अगस्त की सुबह शुरू हुई जब महिला को एक अनजान नंबर से वीडियो कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस कमिश्नर बताया और आरोप लगाया कि महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़ी फंडिंग में किया गया है.
ठग ने कहा कि महिला ने आधार का इस्तेमाल करके किसी तीसरे व्यक्ति को कैनरा बैंक खाता खोलने में मदद की जिसके एवज में उन्हें 20 लाख रुपये कमीशन मिला है. इतना ही नहीं, उसने यह भी दावा किया कि इस मामले की CBI जांच चल रही है और महिला के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हो चुका है.
साइबर अपराधी ने महिला को विश्वास दिलाया कि उन्हें 19 अगस्त तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया है और वे कानूनी रूप से बाध्य हैं. गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए महिला को धीरे-धीरे 21 लाख रुपये उस खाते में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया जिसे ठग ने बताया था.
बाद में महिला को एहसास हुआ कि वे धोखाधड़ी का शिकार हो चुकी हैं. उन्होंने तुरंत कोपरखैराने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने मामला दर्ज कर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं के तहत जांच शुरू कर दी है.
जांच अधिकारियों ने बताया कि ठग का दावा पहली नजर में ही संदेहास्पद था क्योंकि विश्वांस नांगरे पाटिल वास्तव में अतिरिक्त DGP (भ्रष्टाचार निरोधक विभाग) हैं, न कि पुलिस कमिश्नर. पुलिस ने इस मामले को उदाहरण बनाकर लोगों को आगाह किया है कि बढ़ते “डिजिटल अरेस्ट स्कैम्स” से सतर्क रहें.

यह घटना 5 अगस्त को सुबह शुरू हुई थी जब एक महिला को एक अज्ञात नंबर से वीडियो कॉल आई। कॉल करने वाले ने अपने आप को पुलिस कमिश्नर बताया और आरोप लगाया कि महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़ी फंडिंग में किया गया है.

ठग ने बताया कि एक महिला ने आधार का इस्तेमाल करके किसी तीसरे व्यक्ति को कैनरा बैंक खाता खोलने में मदद की, जिसके बदले में उसे 20 लाख रुपये कमीशन मिला है। वह यह भी दावा कर रहा है कि CBI जांच इस मामले में चल रही है और महिला के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दी गई है

साइबर अपराधी ने एक महिला को यकीन दिलाया कि उसे 19 अगस्त तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया है और उसे कानूनी रूप से बाध्य किया गया है. उस महिला को गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए धीरे-धीरे 21 लाख रुपये उस खाते में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया जिसे ठग ने बताया था.

बाद में महिला ने महसूस किया कि उन्होंने धोखाधड़ी का शिकार हो गई है। उन्होंने तत्काल कोपरखैराने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज करके भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं के तहत जांच शुरू कर दी है।

जांच अधिकारियों ने बताया कि ठग का दावा पहली नजर में ही संदेहास्पद था क्योंकि विश्वास नांगरे पाटिल वास्तव में अतिरिक्त DGP (भ्रष्टाचार निरोधक विभाग) हैं, न कि पुलिस कमिश्नर। पुलिस ने इस मामले को उदाहरण बनाकर लोगों को आगाह किया है कि बढ़ते “डिजिटल अरेस्ट स्कैम्स” से सतर्क रहें।