Tuesday, August 26, 2025
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टैरिफ टेंशन के बीच भारतीय बाजार से भाग रहे विदेशी निवेशक, अगस्त में अब तक निकाले 21 हजार करोड़, जानें इसकी वजह

FPI Outflow: डिपॉजिटरी के आंकड़े दर्शाते हैं कि एफपीआई ने अगस्त (14 अगस्त तक) में शेयरों से 20,975 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी. जुलाई में भी उन्होंने 17,741 करोड़ रुपये बाजार से निकाले थे.

Foreign Investors Outflow: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक टनाव, रुपये में कमी और कंपनियों के पहले तिमाही के दुर्बल परिणामों के कारण विदेशी निवेशक (FII) भारतीय शेयर बाजार से लगातार धन निकाल रहे हैं। अगस्त के पहले सप्ताह में ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने लगभग 21,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की हैं.

डिपॉजिटरी के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, साल 2025 तक एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से कुल 1.16 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर ली है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में उनका रुख अमेरिकी टैरिफ मोर्चे पर होने वाली गतिविधियों से निर्भर करेगा।

बाजार से पैसे निकाल रहे विदेशी निवेशक

एंजल वन के वरिष्ठ बुनियादी विश्लेषक (CFA) वकार जावेद खान ने बताया कि अमेरिका और रूस के बीच हाल में तनाव कम हो रहा है और नए प्रतिबंध नहीं लग रहे हैं। ऐसे में भारत पर प्रस्तावित 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क (सेकेंडरी टैरिफ) 27 अगस्त के बाद लागू होने की संभावना कम है। इसे बाजार के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि एसएंडपी ने भारत की साख (क्रेडिट रेटिंग) को BBB- से बढ़ाकर BBB कर दिया है, जिससे एफपीआई की धारणा को बल मिल सकता है।

डिपॉजिटरी के आंकड़े दर्शाते हैं कि एफपीआई ने अगस्त (14 अगस्त तक) तक शेयरों से 20,975 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी। जुलाई में भी उन्होंने 17,741 करोड़ रुपये की राशि बाजार से निकाली थी। हालांकि, मार्च से जून के बीच के तीन महीनों में उन्होंने 38,673 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

मार्निंग स्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा है कि एफपीआई की लगातार निकासी की प्रमुख वजह वैश्विक अनिश्चितता है। भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिका और अन्य विकसित देशों की ब्याज दरों के संबंध में असमंजस और अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने भारत जैसे उभरते बाजारों का आकर्षण कम कर दिया है।

जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी. के. विजयकुमार के मुताबिक, कंपनियों के कमजोर परिणाम और उच्च मूल्यांकन भी एफपीआई की बिकवाली का एक मुख्य कारण हैं। हालांकि, समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने बॉन्ड में 4,469 करोड़ रुपये का निवेश किया और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 232 करोड़ रुपये भी निवेश किया है.

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